Tuesday, 17 March 2015

बड़े पुलिस अधिकारियों को भी मामूली नियम की जानकारी नहीं

Facebook Status of 9 March 2015-
फेसबुक मित्र राहुल गुप्ता जी के विरुध्द NI Act,1881 की धारा 138 का लगाए गए विधि-विरुध्द आरोप से संबंधित दस्तावेजों को पढ़ा।बैंक के द्वारा बताया गया है कि राहुल गुप्ता द्वारा भुगतान पर रोक लगाए जाने के कारण चेक का भुगतान नहीं हो सका।वादी खान नदीम अहमद ने भी भुगतान पर रोक लगाए जाने को आधार बनाकर ही शिकायत किया है।लेकिन अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट,बदायूँ ने अपर्याप्त निधि के कारण चेक वापस किए जाने का बनावटी आरोप दिखाकर राहुल गुप्ता के विरुध्द NI Act का धारा 138 के तहत सम्मन तलब करने का आदेश जारी किया है।भुगतान पर रोक लगाए जाने के कारण चेक वापस कर देने पर NI Act का धारा 138 के तहत मामला नहीं बनेगा।अपर्याप्त निधि के कारण चेक वापस कर देने पर ही यह मामला बनेगा,लेकिन ऐसा नहीं होने के बावजूद मजिस्ट्रेट ने जबरन ऐसा लिखकर राहुल गुप्ता के विरुध्द कार्यवाही प्रारंभ किया है।मजिस्ट्रेट ने कानून के विपरीत आदेश पारित किया है जो IPC का धारा 219 के तहत दंडनीय अपराध है।इस आदेश को खारिज करवाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में Certiorari रिट दायर करे और मजिस्ट्रेट के विरुध्द धारा 219 के तहत मुकदमा दर्ज करने का मांग हाईकोर्ट से करे।
Facebook Status of 28 Feb 2015-
पुलिस नहीं कर पाई गायब लड़की को बरामद,अब न्यायिक मजिस्ट्रेट करेंगे जांच
IG,DIG,SSP-इन सभी को मैंने दो बार शिकायत किया लेकिन इन पुलिस अधिकारियों ने प्रेम-विवाह करने के कारण मायके वाले द्वारा गायब की गई लड़की को बरामद करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं किया।इसलिए SDJM के कोर्ट में शिकायत दायर किया गया।SDJM ने JM,1st Class को जांच का निर्देश दिया है।वकील इस शिकायत को FIR करने के लिए थाना भेजवाना चाह रहे थे।मैंने वकील को कहा कि इस शिकायत में दारोगा भी अभियुक्त है क्योंकि दारोगा ने इस मामले का FIR करने के लिए ससुर से घूस मांगी और ससुर ने घूस देने से मना करते हुए FIR नहीं करने पर SSP को शिकायत करने की चेतावनी दी,जिसके कारण दारोगा ने ससुर को गिरफ्तार कर उसके पूरे परिवार पर दहेज प्रताड़ना का मुकदमा करवा दिया,इसलिए अभियुक्त के खिलाफ शिकायत अभियुक्त के पास कैसे भेजी जाएगी।फिर शिकायत की कोर्ट द्वारा जांच करवाने पर सहमति बनी जिसे SDJM से आग्रह किया गया जिसपर SDJM ने JM, 1st Class को जांच करने के लिए निर्देशित किया।चूँकि अब इस शिकायत की पुलिस जांच के बजाय मजिस्ट्रेट जांच होगी इसलिए थोड़ी सी उम्मीद बनी है कि सच्चाई सामने जाए।


Facebook Status of 26 Feb 2015-

दरभंगा प्रक्षेत्र का IG अमित कुमार जैन ने मुझसे गालियाँ देकर बात की क्योंकि मैं उनसे 15 दिन बाद एक केस को लेकर दूसरी बार मिलने चला गया और पहली बार उन्हें बताया था कि अभियुक्त ससुर का गिरफ्तारी कैसे गलत है।उनसे कानूनी तरीके से बात करने के कारण उन्हें एलर्जी हो गयी थी और जब मैंने बोला कि मैं आपके पास पहले भी चुका हूँ,लेकिन लड़की अपने मायके वाले के कैद में अभी भी है,जिसे पुलिस ने अभी तक बरामद नहीं किया है तो वो मुझे साले कहकर बात करने लगे।
वस्तुतः इस लड़की ने एक लड़का के साथ प्रेम-विवाह अपने मायके वाले के इच्छा के विरुध्द किया था।लड़की ससुराल से जब मायके गई तो मायके वाले ने लड़की को गायब कर दिया और ससुरवाले पर दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया और लड़की को गायब करके ससुरवाले पर अपहरण हत्या का केस थोप कर इसे दहेज हत्या का केस बनाना चाहता है जबकि यदि लड़की को मायके वाले मार देते हैं तो ये ऑनर किलिंग का केस होना चाहिए।मैंने कहा कि कुछ ग्रामीणों ने लड़की को मायके जाते देखा हैं तो IG कहने लगे कि पुलिस गवाह के बयान के आधार पर लड़की को बरामद नहीं करेगी।IG दहेज हत्या में झूठा फंसाने और औनर किलिंग का अवसर दे रहे हैं।

Facebook Status of 22  Feb 2015-

दरभंगा का जिलाधिकारी कुमार रवि ने ढाई महीने में ही नियम के विरुध्द अपना स्टैंड चेंज कर लिया।4 दिसंबर 2014 को जब मैंने जिलाधिकारी को शिकायत किया था कि मेरा पंचायत का वृध्दावस्था/विधवा विकलांगता पेंशन का वितरण पंचायत मुख्यालय के बजाय प्रखंड मुख्यालय में किया जा रहा है तो जिलाधिकारी और वहाँ पर मौजूद अपर जिलाधिकारी दोनों ने कहा था कि नियम के मुताबिक पंचायत मुख्यालय में इन पेंशनों का वितरण होना चाहिए और उन्होंने प्रखंड विकास पदाधिकारी,कुशेश्वरस्थान पूर्वी को पंचायत मुख्यालय में वितरण करने का आदेश दिया था।लेकिन आदेश के बावजूद प्रखंड मुख्यालय में ही परसो से वितरण किया जा रहा है।मैंने इसकी सूचना परसो ही जिलाधिकारी को फोन से दिया।जिलाधिकारी कहने लगे कि सुरक्षा कारणों से प्रखंड में बांटा जा रहा है।पंचायत में लूट हो सकती है।मैंने कहा लूट नहीं होगी तो उन्होंने कहा कि तुम लिखकर दे दो कि लूट नहीं लेने की तुम गारंटी लेते हो फिर तुम्हारे पंचायत में ही बंटेगी।जब पंचायत मुख्यालय पर बांटने का नियम है,फिर कैसा गारंटी,कैसा लूट।गारंटी लेने और लूट से बचाने का काम जिलाधिकारी का है जो वो पुलिस के सहायता से कर सकते हैं,मेरा नहीं।

Facebook Status of 16 Feb 2015-

शादी का झासा देकर रेप का आरोप लगाने के विरुध्द मैंने 3 जनवरी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दायर किया था(जिसका केस नं 253/30/0/2015 है) क्योंकि झासा,लालच,प्रलोभन आदि के कारण आपसी सहमति से यौन संबंध

बनाना IPC का धारा 375 के तहत रेप की परिभाषा में नहीं आता है।अतः शादी का झासा देकर रेप का आरोप लगाना 

अभियुक्त के मानवाधिकार का हनन करता है और मानवाधिकार आयोग के पास मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 12(d) के तहत ऐसे नियम की समीक्षा कर सरकार से सिफारिश करने का शक्ति है।इसलिए मैंने आयोग से आग्रह किया 
था कि वह धारा 375 की समीक्षा करे और शादी का झासा देकर रेप का मुकदमा दर्ज नहीं करने का सिफारिश करे।आयोग ने 

शिकायत को ये बहाना बनाकर निष्तारित कर दिया कि मानवाधिकार हनन,पीड़ित और शिकायतकर्ता के बारे में अपेक्षित 

सूचना नहीं दी गई।मानवाधिकार हनन से जुड़ा अपेक्षित सूचना ये था कि रेप के फर्जी आरोप मेँ फंसाया जा रहा है,पीड़ित से 

जुड़ा अपेक्षित सूचना ये था कि पीड़ित पूरे देशभर में है जिनके खिलाफ ऐसी मुकदमा दायर की गई है और शिकायतकर्ता ने अपना नाम पता का उल्लेख किया था।इन बिंदुओं का जवाब देकर आयोग को पुनः शिकायत भेजा है।

ये रेप नहीं,धोखाधड़ी है।इसलिए IPC का धारा 417 के तहत सिर्फ धोखाधड़ी का मामला बनता है।झासा तो सिर्फ एक बहाना है।कोई व्यक्ति झासा के आधार पर तब तक शारीरिक संबंध नहीं बनाएगा जब तक उसमें यौन-उत्तेजना ना हो।इसलिए 

मानवाधिकार आयोग से सिर्फ धोखाधड़ी का मुकदमा दायर करने का सिफारिश करने का आग्रह किया गया है जो पुरुष और महिला दोनों के विरुध्द लागू होती है।

नैतिकता के आधार पर भी धोखाधड़ी ही है,रेप नहीं है।जब तक शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा ना हो तब तक सिर्फ शादी 

का वादा करने मात्र से शारीरिक संबंध कैसे बना लिया जाता है?इसमें चाहे लड़का हो या लड़की,जिसके द्वारा शादी करने से

मना किया जाता है,वो धोखाधड़ी करते हैं।कई लड़कियाँ भी प्रेम संबंध में शादी करने से मना कर देती है तो क्या ये कहा जाए कि लड़कियाँ लड़के का रेप कर देती है?

Facebook status of 10 Feb 2015-

मुजफ्फरपुर जिलान्तर्गत सकरा थाना कांड सं-419/09 में IPC का धारा 323,341,447 और 504 लगा है जो ग्राम कचहरी द्वारा विचारणीय है।ये मामला अभी न्यायिक दंडाधिकारी,प्रथम श्रेणी के कोर्ट में लंबित है।इस मामला को ग्राम कचहरी में हस्तांतरित करने के लिए मैंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी,मुजफ्फरपुर के कोर्ट में 7 फरवरी को आवेदन दायर करवाया है,जिसपर कोर्ट ने न्यायिक दंडाधिकारी,प्रथम श्रेणी के कोर्ट से रिकाड मांगा है।फिर 25 फरवरी को सुनवाई होगी।उम्मीदतः ग्राम कचहरी में ये मामला हस्तांतरित हो जाएगा।
पूरे बिहार में लाखों ऐसे मामले हैं जो ग्राम कचहरी द्वारा विचारणीय है लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में लंबित है।बिहार पंचायत राज अधिनियम,2006 की धारा 106 में कई छोटे आपराधिक मामले को ग्राम कचहरी के अधीन रखा गया है।धारा 113(1) के मुताबिक ऐसे मामले में कोर्ट संज्ञान नहीं लेगी,धारा 113(2) के मुताबिक यदि ऐसे मामले की शिकायत थाना में की जाती है तो थानाध्यक्ष 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट के साथ मामला को ग्राम कचहरी में भेज देगा,धारा 114 के मुताबिक यदि ऐसा मामला कोर्ट में लंबित है तो कोर्ट उसे ग्राम कचहरी में हस्तांतरित कर देगा।

Facebook status of 9 Feb 2015-

सुप्रीम कोर्ट ने एक शिक्षा माफिया यूभीके कॉलेज,मधेपुरा का प्राचार्य माधवेन्द्र झा के विरुध्द आरटीआई से खुलासा करने के 

कारण रेप के फर्जी आरोप में फंसाए गए कॉलेज के व्याख्याता नागेश्वर झा को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है।जस्टिस

टीएस ठाकुर,जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने SLP(Crl) No.298/2015,नागेश्वर झा 

बनाम बिहार राज्य में ये राहत दिया है।तीनों जज पहले पूर्वाग्रह से ग्रसित थे जो महज IPC का धारा 376(रेप) देखकर ही 

अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने जा रहे थे लेकिन जब नागेश्वर झा की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने दलील दी तो

तीनों जज हँसने लगे।उन्हें समझ में गया कि भ्रष्टाचार का खुलासा करने के कारण रेप का एक फर्जी कहानी बनाकर 

फंसाया गया है।माधवेन्द्र झा के विरुध्द प्राप्त हुए भ्रष्टाचार का सारे साक्ष्य को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।गिरफ्तारी से 

अंतरिम राहत मिलते ही सर्वप्रथम नागेश्वर झा द्वारा मुझे फोन किया गया।अंतरिम राहत के बाद अब यदि अग्रिम जमानत 

मिल जाती है तो ये एक Landmark Judgement होगा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने के कारण फर्जी आरोप में फंसाए गए Whistle Blowers के लिए मददगार होगा।


Facebook Status of 8 Feb 2015-

बड़े पुलिस अधिकारियों को भी मामूली नियम की जानकारी नहीं
दरभंगा SSP मनु मनुराज,नए DIG उमा शंकर सुधांशु आदि को ये भी मालूम नहीं है कि महिला द्वारा पति रिश्तेदार पर लगाए गए प्रताड़ना के आरोप में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी(SDPO) के पर्यवेक्षण के बाद ही गिरफ्तार किया जा सकता है।महिला द्वारा IPC का धारा 498A(महिला के साथ क्रूरता),दहेज प्रतिषेध अधिनियम,1961 का धारा 3(दहेज लेना या देना) और धारा 4(दहेज मांगना) का बेजा इस्तेमाल किए जाने के विरुध्द लगभग हरेक राज्य के पुलिस ने सर्कुलर जारी किया है कि बगैर पर्यवेक्षण का गिरफ्तारी नहीं की जाएगी जिसमें पुलिस महानिदेशक,बिहार द्वारा भी सर्कुलर जारी की गई है।IG अमित कुमार जैन को मालूम है कि बगैर पर्यवेक्षण का गिरफ्तारी नहीं होना चाहिए।तिलकेश्वर ओपी अध्यक्ष(एक दारोगा) द्वारा बगैर पर्यवेक्षण अनुसंधान का एक ससुर को गिरफ्तार किया गया है जिसके विरुध्द मैंने शिकायत किया है।लेकिन SSP और DIG को नियम मालूम ही नहीं,इसलिए कोई कार्रवाई किए बगैर SSP ने SDPO को और DIG ने SSP को आवेदन भेज दिया।IG ने मालूम होते हुए भी SSP को आवेदन भेज दिया।किसी ने खुद कार्रवाई नहीं किया।सभी लाचार हैं।