दहेज की मांग कर प्रताड़ित करने का आरोप शादी के सात वर्ष बाद लगाने का प्रावधान नहीं होना चाहिए क्योंकि
(i) IPC का धारा 304B के तहत विवाहित महिला की हत्या विवाह के सात वर्ष के भीतर किए जाने पर ही दहेज हत्या माना जाता है।
(ii) भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113A के तहत विवाह के सात वर्ष के भीतर आत्महत्या करने पर ही कोर्ट ये Presume कर सकता है कि विवाहिता ने क्रूरता के कारण आत्महत्या किया है।
जब दहेज हत्या और दहेज आत्महत्या के लिए सात वर्ष की सीमा तय है तो फिर दहेज मांगने के कारण प्रताड़ित करने का आरोप लगाने का सात वर्ष का सीमा तय क्यों नहीं है?
केवल दहेज की मांग के कारण शादी के सात वर्ष बाद भी प्रताड़ित करते रहना प्रायः संभव नहीं है।एक मित्र ने विवाह के 10 वर्ष बाद भी दहेज की मांग के कारण प्रताड़ित करने का आरोप लगाने हेतु सलाह मांगी लेकिन पति शराबी होने के कारण प्रताड़ित कर रहा है।एक अन्य मित्र ने शादी के आठ पूर्व बाद दहेज की मांग के कारण प्रताड़ित किए जाने का शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद सलाह मांगी,लेकिन बातचीत के दौरान सिध्द हो गया कि पति दूसरे महिला से नाजायज संबंध होने के कारण पत्नी को प्रताड़ित कर रहा है।
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नौकरी देने का झासा देकर ठगी करने का आरोप लगाने वाले के विरुध्द भी फ्रॉड करके नौकरी लेने के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा चलना चाहिए।आजतक नौकरी का झासा देकर ठगने का आरोप लगाने वाले के विरुध्द कभी भी दुष्प्रेरित करने का केस दर्ज नहीं किया गया।
IPC का धारा 107,108 और 109 में दुष्प्रेरण और दुष्प्रेरक का की गई व्याख्या से स्पष्ट है कि नौकरी के लिए रुपये देने वाले लोग फ्रॉड करके नौकरी दिलाने के लिए उस फ्रॉड को दुष्प्रेरित किया जिसने रुपये ठग लिया लेकिन नौकरी नहीं दिलवाई।चूँकि नौकरी देने के लिए रुपये देकर दुष्प्रेरित किया गया लेकिन नौकरी देने का अपराध कारित नहीं हो सका और ठगने का अपराध कारित हो गया।इसलिए रुपये देने वाले IPC का धारा 110 और 111 के तहत दोषी है।
एक मित्र ने एकबार नौकरी देने के नाम ठगे जाने के विरुध्द फेसबुक पर सलाह मांगा था।मैंने स्पष्ट रुप से कहा था कि यदि मैं थानाध्यक्ष होता तो आप पर भी दुष्प्ररित करने का मुकदमा कर देता।एक अन्य व्यक्ति पर नौकरी देने के नाम पर ठगने का मुकदमा चल रहा है।मैंने उन्हें कहा कि रुपये देने वाले के विरुध्द दुष्प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज कराने हेतु कोर्ट में अर्जी दे।
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