Saturday, 25 July 2015

विदेश में प्रचलित 'वी कंसेंट' ऐप की भारत में प्रासंगिकता

विदेश में प्रचलित 'वी कंसेंट' ऐप की भारत में प्रासंगिकता
ये सत्य है कि बलात्कार का तीन-चौथाई से भी ज्यादा आरोप झूठा होता है। स्त्रीवादी लोग जबरन गलत आरोप को भी सही बना देते हैं।
रही बात 'वी कंसेंट' ऐप की तो इसका मुख्यतः दुरुपयोग ही होगा लेकिन इस तरह के ऐप के सामने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति देने का भारतीय विधि-शास्त्र में कोई महत्व नहीं है।क्योंकि IPC का धारा 90 के तहत ऐसे किसी भी सहमति को सहमति नहीं माना जाता है जो डर के कारण दिया जाता है।इसलिए यदि 'वी कंसेंट' जैसे ऐप के सामने दी गई सहमति को पीड़िता ये सिध्द कर देती है कि उसने डर से सहमति दी थी तो ऐप के सामने सहमति का कोई महत्व नहीं होगा।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम,1872 में वर्ष 2013 में धारा 114A को दुरुपयोग करने के लिए जोड़ा गया जिसमें प्रावधान किया गया कि यदि महिला कहती है कि उसने शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमति नहीं दी थी तो कोर्ट यही Presume करेगा कि उसने सहमति नहीं दी थी,भले ही बगैर डर का स्वेच्छा से सहमति देने के बावजूद महिला झूठ बोल रही हो।'वी कंसेंट' ऐप तो इतना जरुर सिध्द कर देगा कि उसने सहमति दी थी।डर के कारण सहमति दी थी,ये सिध्द करना पड़ेगा।

वी कंसेंट ऐप अमेरिका में स्मार्ट फोन के लिए डेवलप किया गया एक ऐप है जिसमें शारीरिक-संबंध बनाने से पहले पुरुष और महिला का एक साथ बीस सेकंड का वीडियो रिकाड किया जाता है,जिसमें संबंध बनाने के लिए सहमति होने पर दोनों हाँ बोलते हैं।इससे सहमति लेने के लिए हाँ बोलने से पहले कोई भय दिखाने का पता नहीं चलता है।
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Facebook Post of July 17,2015-
रिपोर्ट करने के बाद Sexually Explicit कंटेन्ट अपडेट करने वाले एक फेसबुक पेज को फेसबुक ने हटा दिया है।इस पेज के लगभग 150 लाइक्स हो चुके थे।सरकारी सेवा में नियोजित एक मित्र द्वारा इस पेज के एक फोटो में मुझे टैग कर दिया गया था जिसके साथ आपत्तिजनक शब्द भी लिखे थे।इस पोस्ट में दिए लिंक को क्लिक करने पर अश्लील वीडियो का वेबसाइट खुल रहा था।इस मित्र ने ऐसे एक अन्य पेज के एक फोटो में भी टैग कर दिया था जिसमें फोटो और पेज दोनों को रिपोर्ट करने के बाद फेसबुक ने फोटो को हटा दिया लेकिन पेज को नहीं हटाया,जबकि उस पेज के सारे फोटो पहले वाले फोटो की तरह ही थे।ऐसे एक तीसरे पेज को भी रिपोर्ट किया लेकिन फेसबुक ने नहीं हटाया।
इन दोनों पेज को नहीं हटाने का कारण शायद ये रहा होगा कि इन पेज पर जो लिंक्स दिए गए थे,उसे क्लिक करने पर अश्लील वीडियो का वेबसाइट नहीं खुल रहा था।
पूर्व में फेसबुक मेरे द्वारा रिपोर्ट करने पर चार अश्लील वीडियो को भी हटा चुका है।
इस मित्र को मुझे ब्लॉक कर देना चाहिए था लेकिन इस आधार पर छोड़ दे रहा हूँ कि ये विभागीय व कानूनी समास्या पड़ने पर मुझसे समाधान के लिए सलाह लेते रहे हैं।सुधरने का एक मौका दे रहा हूँ।

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मुलायम सिंह यादव के विरुध्द धमकाने का FIR दर्ज करने के लिए वरिष्ठ IPS अमिताभ ठाकुर द्वारा थाना में तहरीर देने के कुछ घंटे बाद अमिताभ ठाकुर और उनके पत्नी नूतन ठाकुर के विरुध्द रेप का फर्जी FIR दर्ज करना कानून को रखैल समझकर दुरुपयोग करने के लिए कानूनी-संरक्षण के विरुध्द कई सवाल खड़े करते हैं।मेरी जानकारी में भारतीय साक्ष्य अधिनियम,1872 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो इसका व्याख्या करता हो कि 6 महीना पहले या काफी पहले कि कथित घटना को लेकर सुसुप्त पड़ गए तथाकथित पीड़ित/पीड़िता अभियुक्त द्वारा किसी के विरुध्द आवाज उठाने के बाद एकाएक कुछ घंटे या कुछ दिन के भीतर FIR दर्ज कराते हैं या पुलिस द्वारा पहले आरोप को गलत मानकर FIR नहीं करके अब तुरंत FIR कर लिया जाता है तो ऐसे आरोप को झूठा Presume किया जाए।
इसे हम Presumption as to false charges in certain circumstances on ground of back allegation having afterthought motive कह सकते हैं।यदि ऐसा प्रावधान हो जाए तो अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर जैसे व्यक्ति के विरुध्द फर्जी FIR दर्ज कर परेशान नहीं किया जा सकेगा और मुलायम सिंह यादव जैसे पुरुषवादी लठैत कानून को रखैल नहीं बना पाएंगे।

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