Monday, 30 June 2014

सत्य की जीत हुई।


सत्य की जीत हुई।

समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर थाना अन्तर्गत पतैलिया पंचायत के मुखिया सुनीता देवी द्वारा मध्य विद्यालय के पूर्व हेडमास्टर और गाँव के सामाजिक कार्यकर्ता सीताराम ठाकुर समेत तीन को मुखिया के विरुध्द जिलाधिकारी को शिकायत करने के बाद कि मुखिया मनरेगा के मजदूरों का पैसा गबन कर दी है,मुखिया के द्वारा फर्जी मुकदमा में फंसा दिया गया।इस मामले की सूचना मुझे रमेश कुमार चौबे जी,लोक स्वराज मंच के राष्ट्रीय महासचिव द्वारा दी गई थी।मैंने पतैलिया गाँव का भ्रमण भी किया और लगातार पीड़ित अभियुक्तों का मदद कर रहा हूँ।परसो गाँव जाकर DSP ने कांड का पर्यवेक्षण किया।कई ग्रामीणों और गवाहों के द्वारा आरोप को असत्य बताया गया जिसके आधार पर DSP ने आरोप को झूठा करार दिया है।अब मुखिया और झूठा फंसाने वाले के विरुध्द IPC का धारा 182 के तहत झूठा फंसाने के लिए मुकदमा दर्ज करने का आग्रह पुलिस अधिकारी से किया जाएगा।यदि पुलिस अधिकारी झूठा फंसाने वाले के विरुध्द धारा 182 के तहत मुकदमा दर्ज नहीं करते हैं तो IPC का धारा 500 का प्रयोग करके झूठा फंसाने वाले के विरुध्द मानहानि का केस किया जाएगा।शिकायतकर्ता को फंसाने वाले को सजा हो।

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एल्फ्रेड मार्शल के अनुसार,मजदूरी श्रम की सीमांत उत्पादकता के बराबर होने की प्रवृति रखती है।मतलब,एक मजदूर के कारण जितनी उत्पादन होती है,उसे उतना मजदूरी मिलना चाहिए।मार्शल की मजदूरी का सीमांत उत्पादकता सिध्दांत का एक Demerit ये है कि किसी मजदूर की सीमांत उत्पादकता कितनी है,इसका निर्धारण करना मुश्किल है।मार्शल ने मांग और पूर्ति के आधार पर वस्तु के मूल्य निर्धारण का सिध्दांत दिया।मतलब जब मांग ज्यादाऔर पूर्ति कम हो तो वस्तु की कीमत बढ़ेगी और जब मांग कम और पूर्ति ज्यादा हो तो वस्तु की कीमत घटेगी।जब वस्तु के मांग और पूर्ति के आधार पर उसका मूल्य निर्धारण हो सकता है,फिर उस वक्त भी मजदूरी का निर्धारण मजदूरों की मांग और पूर्ति के आधार पर क्यों नहीं हो सकता था,जैसा कि आज कई जगह हो रहा है।अभी मजदूरों की पूर्ति कम और मांग ज्यादा होने के कारण मजदूरी ज्यादा और मजदूरों की पूर्ति ज्यादा और मांग कम होने के कारण मजदूरी कम मिलती है।जब पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाना हो तो मांग व पूर्ति का सिध्दांत,जब मजदूरों का शोषण करना हो तो मांग व पूर्ति का कोई सिध्दांत नहीं।अतः मार्शल भी पूँजीपतियों का संरक्षक अर्थशास्त्री थे।

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मेरा कॉलेज(सीएम कॉलेज,दरभंगा) में स्नातक प्रथम खंड का परीक्षा फॉर्म भरने का फीस से 32 रुपये ज्यादा क्लर्क द्वारा वसूली जा रही है।रसीद 598 रुपये की काटी जा रही है,लेकिन क्लर्क जबरन 630 रुपये ले रहे हैं।फॉर्म का मूल्य 50 रुपया है लेकिन एक कर्मचारी बिपिन द्वारा फॉर्म 60 रुपये में बेचा जा रहा है।जब मैंने 50 रुपया दिया तो मुझसे बिपिन ने 10 रुपया ज्यादा नहीं मांगा लेकिन मेरा एक क्लासमेट बमशंकर झा को मेरे द्वारा हस्तक्षेप करने के बाद 50 रुपये में फॉर्म दिया।क्लर्क लीलाकांत झा ने मुझसे 630 रुपये मांगा।मैंने 600 रुपये दिया और 598 रुपये का ही रसीद काटे जाने की बात कही।पहली बार जब इसकी सूचना मेरे द्वारा प्रभारी प्राचार्य नथूनी यादव को दी गई तो प्रभारी प्राचार्य ने कहा कि उन्हें इससे कोई लेना-देना नहीं हैं।दूसरी बार जब प्रभारी प्राचार्य और हेडक्लर्क को सूचना दी गई तो ये लोग कहने लगे कि जबरन पैसा कैसे वसूला जा सकता है जबकि पैसा देने का दवाब बनाया जाता है।जो सूचना प्रकाशित की गई है उसमें ये नहीं लिखा है कि कितनी राशि फॉर्म भरने और फॉर्म खरीदने का लगेगा ताकि मनमुताबिक पैसा वसूला जा सके।I recorded all conversation.

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ग्राम सभा और नक्सलवाद


मैं 15 जून से 18 जून तक नई दिल्ली के जंतर मंतर पर लोक स्वराज मंच और व्यवस्था परिवर्तन मंच द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेने गया था।इनकी चार मांग में पहली मांग है-परिवार,गाँव और जिला को संवैधानिक अधिकार देना।इस बारे में मेरा मानना है कि संविधान की अनुसूचि सात में संशोधन करके ग्राम सभा और मोहल्ला सभा के अधिकारों का लिस्ट बनाया जाए और अनुच्छेद 246 में संशोधन करके ग्राम सभा और मोहल्ला सभा को उस लिस्ट में आने वाली विषय के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया जाए।अनुच्छेद 246 में इसका भी प्रावधान हो कि सरकार और जनप्रतिनिधि ग्राम सभा और मोहल्ला सभा द्वारा पारित कराए गए प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य होंगे और महिला तथा दलित,पिछड़ो का जनसंख्या के अनुसार इन सभाओं में समानुपातिक प्रतिनिधित्व होगा।

यहाँ छतीसगढ़ के एक पूर्व नक्सली नेता से मेरी संक्षिप्त बातचीत हुई जो अब बजरंग मुनि जी (लोक स्वराज मंच के संरक्षक) के संरक्षण में ग्राम सभा सशक्तिकरण अभियान का कार्य कर रहे हैं।इन्होंने बताया कि ग्राम सभा और नक्सलवाद का उद्देश्य समान है। मतलब,ये कहा जा सकता है कि यदि ग्राम सभा के अधिकारों का अलग लिस्ट बनाया जाए तो कई नक्सली ग्राम सभा से जुड़कर हिंसा करना छोड़ देंगे।
एक पूर्व गाँधीवादी IAS अधिकारी कमल ताओरी से बातचीत के दौरान (मैं बगल में मौजूद था) बजरंग मुनि जी ने कहा था कि जब उन्होंने स्वराज और ग्राम सभा को लेकर छतीसगढ़ में अभियान चलाया तो राज्य सरकार ने इन्हें नक्सलवादी घोषित कर दिया जिस आरोप को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।नक्सलवाद को रोकने का सबसे बड़ा हथियार ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार देना है लेकिन सरकार द्वारा ग्राम सभा के लिए मुहिम चलाने वाले को नक्सलवादी घोषित किया जाता है। नक्सलवादी को करारा जवाब देने का दंभ भरने वाली सरकार महज दिखावा कर रही है।
सच्चाई तो ये है कि कई राजनेता खुद नक्सलवादी का संरक्षक है जिसकी जानकारी मुझे पटना के पुरानी सचिवालय में काम करने वाले एक सरकारी कर्मचारी के द्वारा दी गई है।जब मुख्यमंत्री सचिवालय में ये चर्चा आम है तो जाहिर है कि राजनेता इसमें शामिल हैं।यदि राजनेता इसमें शामिल नहीं होते तो ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार दे दिया गया होता।
भ्रष्टाचार कम करने और विकास बढ़ाने का सबसे बड़ा उपाय ग्रामसभा को संवैधानिक अधिकार देना है,फिर नक्सलवाद को पनपने और भ्रष्टाचार,विकास को मुद्दे बनाकर इन्हें उग्रता फैलाने का मौका नहीं मिलेगा।
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RTI कार्यकर्ता को झूठा फंसाए जाने के विरुध्द The Whistle Blowers Protection Act,2014 का प्रयोग


पटना उच्च न्यायालय  में पक्ष मजबूत करने के लिए एक  RTI कार्यकर्ता को  झूठा फंसाए जाने के विरुध्द  The Whistle Blowers Protection Act,2014  का प्रयोग किया जाएगा।RTI से  एक ऐसा खुलासा  हुआ जिसे बिहार के समाचार पत्रों के प्रथम पन्ने पर जगह मिला,लेकिन खुलासा के कुछ दिन बाद खुलासा करने वाले को बलात्कार के फर्जी आरोप में फंसा दिया गया।यूभीके कॉलेज मधेपुरा का शिक्षा माफिया प्राचार्य माधवेन्द्र झा के विरुध्द खुलासा हुआ कि वह बिहार बोर्ड से मैनेज करके किसी भी +2 विद्यालय के नाम पर उस विद्यालय के प्राचार्य का फर्जी हस्ताक्षर  और मोहर लगाकर परीक्षा  फार्म भरवाकर बोर्ड परीक्षा दिलवाता है  जबकि वास्तव में ऐसे परीक्षार्थियों का नामांकन संबंधित उच्च विद्यालय में नहीं होता।ऐसे 105 फर्जी  परीक्षार्थियों का रिजल्ट बिहार बोर्ड ने रोक दिया था और माधवेन्द्र झा के विरुध्द गिरफ्तारी वारंट जारी हुई थी।खुलासा करने वाले नागेश्वर झा उसी कॉलेज का व्याख्याता हैं जिन्हें मोना कुमारी,कॉलेज की Accountant को आगे करके बलात्कार के आरोप में माधवेन्द्र झा द्वारा फंसवाया गया।

मैंने नागेश्वर झा को The Whistle Blowers Protection Act,2014 के बारे में बताया,फिर उनके वकील को मैंने मैसेज करके इसे उनके संज्ञान में लाया।वकील ने फिर नागेश्वर झा से बात किया और बताया कि वह अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में होने वाली बहस में इसका प्रयोग करेंगे।The Whistle Blowers Protection Act,2014 को 9 मई 2014 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति दी गई।इस कानून की धारा 11 के मुताबिक किसी भी Whistle Blower (आवाज उठाने वाले) को महज इसलिए झूठे मुकदमा में फंसाकर प्रताड़ित नहीं करना चाहिए क्योंकि वह एक Whistle blower है। सरकार और संबंधित विभाग का दायित्व है कि वह Whistle blowers को झूठे मुकदमा से बचाए।

सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया है लेकिन वहाँ The Whistle Blowers Protection Act का प्रयोग नहीं किया गया था।हाईकोर्ट में इसका प्रयोग किया जाएगा लेकिन यदि इसके बावजूद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत नहीं दिया तो यही माना जाएगा कि हाईकोर्ट भी महाभ्रष्ट है जो भ्रष्टाचार के विरुध्द आवाज उठाने वाले(Whistle blowers) को झूठे फंसाने वाले भ्रष्टाचारी का संरक्षण और आवाज उठाने वाले का दमन करती है।

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Friday, 20 June 2014

FDI in Retail : Evolution of neo colonialism

On 8 Feb 2013,I had updated a status how FDI in Retail is the sign of getting India converted into Neo Colony. Once more, the same Article is presented hereunder as Anant Bhaiji has sought my opinion on this issue.



(Ideas presented in this article are applicable for other countries also)



FDI in Retail : Evolution of neo colonialism 



America has forcibly established neo colonialism in some countries but India is itself opening the door of neo colonialism for developed countries, perhaps even may be colony also ,not only neo colony like Iraq and such. The most prominent reason behind FDI in retail is fiscal deficit and the reason of fiscal deficit is corruption.What India wants? This time, due to fiscal deficit, FDI comes in retail. Now again corruption will bring a new fiscal deficit in future and this will bring again a new FDI in new area, may be like FDI in land…Now India will say foreign country to bring FDI in land or such area and Indian . Govt will have no other way besides to bring FDI in land to tackle with fiscal deficit like this time of FDI in retail.FDI is not possible in land.So there will be FPI in land(Foreign Portfolio Investment).Even ,there may be FDI in land too because there will be small land of farmers and no more money in the possession of farmers , so a farmer will have to sell its land to foreign company (even may be big company of this country) and a farmer will work under these companies.
Now govt will invest foreign money in agriculture or foreign companies and few Indian Corporate Companies will buy the land and will have its ownership and a farmer will be slave. Because govt will have no money to invest due to fiscal deficit caused due to corruption. This will be more tremendous than British rule. In this way, we may be colony again like colony of British rule, at least becoming neo colony is fixed. Corruption can make us slave again.

Fiscal deficit occurred even after globalization in India but Globalization was implemented mainly to fulfill the fiscal deficit but even after globalization, fiscal deficit occurred. So now even after FDI in retail,why no fiscal deficit will occur and now there will be FPI or FDI in land.

Implementing NEP 1991,globalization in India can’t be opposed because we need such productivity which can fulfill the demand of people and increasing population, such technology which can contact the people to whole world and such life style which can compete with modern world. So globalization was needed and opponent of globalization is opponent of development. But opponent of FDI in retail is real supporter of development. Globalization was needed for the all above purposes , but now there is no such purpose can be counted by any which can be fulfilled by FDI in retail. So FDI must be resisted.

The thinking behind implementing globalization is initially related to establish dominancy to weaker country by developed country but the thinking behind implementing FDI in retail is totally related to establish dominancy to weaker country by developed country. Because in FDI in retail,there is no such purposes which have been counted above and which are attached along with purposes of globalization.

We have adopted only a centralized form of globalization. In this form, there is global participation of only big companies economically. We can decentralize globalization to the lower level by the investment of these companies of foreign and our country by establishing collecting form of small companies by the participation of common people. I have presented this model initially and termed as ‘separation of economic power.’ Please go to 648rahul.jagranjunction.com and 648rahul.blogspot.com and search all related blogs. You may search such articles in my all facebook accounts/pages/groups also.

Similarly, this time we could implement such model of FDI in retail or multi brand retail even by big companies of India which would be collective form of some retail shops of a particular area and shopkeepers would be its owner and such companies would have its share on its profit.

If such model of globalization will be implemented, there will be no corruption, unemployment, fiscal deficit, inflation, environment problems etc,etc.

Similarly,if such collective retail will be implemented instead of multi brand retail ,which I have presented above, everyone will get benefit and there will be no fiscal deficit again. Unless,there will be always fiscal deficit due to corruption and this will destroy the economy.

Why capitalist are always owner in macro economics or large scale economic activities? Why common people like shopkeepers, workers can’t be owner in large scale economic activities along with capitalist, not only capitalist or not only common people.

There is need of above model where everyone will be owner of a firm.

Now capitalist has been owner of shop after industry, now they will be of land and everything..So stop and start revolution for this….

Wednesday, 11 June 2014

झूठा मुकदमा:कानूनी खामियाँ का दुष्परिणाम

आम लोगों से बातचीत और कई केस का अध्ययन करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि 90 प्रतिशत आरोप झूठे होते हैं और इतने ही सच्चे कांड को समाज द्वारा दबा दिया जाता है।लेकिन कानून में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं,जिससे झूठे मुकदमे को काफी हद तक रोका जा सकता है।

प्रस्तुत है मेरा  10 सुझाव:-

1.CrPC का धारा 163  और Indian Evidence Act,1872 का धारा 24 में संशोधन-CrPC का धारा 163 में लिखा है कि पुलिस किसी भी व्यक्ति का  बयान डरा-धमकाकर,प्रभोलन देकर या गुमराह करके नहीं लेगी।Indian Evidence Act ,1872  का धारा 24 में लिखा है कि कोर्ट में किसी अभियुक्त के द्वारा डर,प्रभोलन या गुमराह किए जाने के कारण दिया गया इकबालिया बयान उस अभियुक्त के विरुध्द सबूत नहीं होगी।लेकिन डर,गुमराह और प्रभोलन सिर्फ पुलिस द्वारा बयान लेने  या अभियुक्त द्वारा कोर्ट में इकबालिया जुर्म करने तक ही सीमित नहीं होती।अक्सर पर्दा के पीछे से किसी थर्ड पर्सन द्वारा किसी व्यक्ति को आरोप लगाने के लिए आगे करवाया जाता है और ऐसे आगे किए गए लोग या तो डर के कारण आरोप लगाते हैं या प्रभोलन या गुमराह किए जाने के कारण।डर,प्रभोलन या गुमराह के आधार पर फर्जी गवाह भी तैयार किए जाते हैं।इसलिए CrPC का धारा 163 में ये संशोधन किया जाना चाहिए कि पुलिस इस बिन्दु पर भी जांच करेगी कि क्या आरोप लगाने वाले और गवाह के पीछे कोई थर्ड पर्सन भी है जो डरा-धमकाकर,प्रभोलन देकर या गुमराह करके साजिश रच रहा है।CrPC का धारा 157 के Proviso  में भी एक संशोधन होना चाहिए कि यदि थर्ड पर्सन की भूमिका सामने आती है तो पुलिस आगे की जांच ना करके केस बंद कर देगी और CrPC का धारा 159 में संशोधन किया जाना चाहिए कि यदि थर्ड पर्सन की ऐसी भूमिका सामने आती है तो मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट पर  आगे की जांच का आदेश ना देकर केस को खारिज कर देंगे।Indian Evidence Act,1872 की धारा 24 में ये संशोधन होना चाहिए कि सिर्फ अभियुक्त ही नहीं,बल्कि आरोपकर्ता और गवाह द्वारा डर,प्रलोभन या गुमराह के कारण दिया गया बयान सबूत नहीं होगी।

2. Indian Evidence Act में एक नया धारा 102A जोड़ा जाए-Indian Evidence Act का धारा 102 इसकी व्याख्या करती है कि Burden Of Proof किस पक्ष के ऊपर होगा,अर्थांत किस पक्ष को किसी खास तथ्य या आरोप को साबित करना पड़ेगा।धारा 102A जोड़कर ये प्रावधान किया जाना चाहिए कि   यदि थर्ड पर्सन की भूमिका के बारे में अभियुक्त पक्ष के द्वारा आरोप लगाया जाता है और थर्ड पर्सन की भूमिका का पर्याप्त कारण और आधार अभियुक्त पक्ष के द्वारा बताया जाता है तो वादी पक्ष यानि आरोपकर्ता और गवाह को ये सिध्द करना पड़ेगा कि थर्ड पर्सन की कोई भूमिका नहीं है।यदि वादी पक्ष थर्ड पर्सन की भूमिका नहीं होने वाली तथ्य को सिध्द करने में नाकाम रहते हैं तो आरोप को खारिज कर दिया जाएगा।अभी सिर्फ इतना प्रावधान है कि यदि अभियुक्त को लगता है कि गवाह  को गुमराह किया गया है या प्रलोभन दिया गया है तो Indian Evidence Act की धारा 155 के तहत ऐसे गवाह के विरुध्द स्वतंत्र गवाह पेश करके ऐसे गवाह को झूठलाया जा सकता है।लेकिन इतना प्रावधान ही काफी नहीं है,इसलिए मेरा सुझाव लागू होना चाहिए।

3.CrPC में धारा 157A और Indian Evidence Act में धारा 24A  को जोड़ा जाए-CrPC के धारा 157 में लिखा है कि पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के बाद घटनास्थल पर जाकर जांच करेगी।लेकिन पुलिस के लिए इसकी बाध्यता नहीं है कि घटनास्थल पर जाने के बाद स्थानीय लोगों का बयान लेना ही पड़ेगा।CrPC का धारा 157A बनाकर इसका प्रावधान किया जाए कि हरेक कांड में पुलिस के लिए ये अनिवार्य होगा कि पुलिस को स्थानीय लोगों का बयान लेना पड़ेगा कि आरोप कर्ता और गवाह के पीछे क्या कोई थर्ड पर्सन भी है या आरोपकर्ता और गवाह कोई पूर्वाग्रह या निजी स्वार्थ से भी ग्रसित है या आरोपकर्ता और गवाह डर,प्रलोभन या गुमराह किए जाने के कारण आरोप तो नहीं लगा रहा है।यदि स्थानीय लोग इन बातों की पुष्टि करते हैं तो फिर तुरंत आरोपकर्ता और गवाह को ये सिध्द करने के लिए कहा जाना चाहिए कि उसके पीछे थर्ड पर्सन नहीं है या वो पूर्वाग्रह या निजी स्वार्थ से ग्रसित नहीं है या वो डर,प्रलोभन या गुमराह का शिकार नहीं है।यदि इन तथ्यों को आरोपकर्ता और गवाह साबित नहीं कर पाते हैं तो स्थानीय लोगों के बयान के आधार पर पुलिस द्वारा  आगे की जांच बंद कर देने का प्रावधान इस धारा को जोड़कर किया जाना चाहिए और धारा 159 में भी एक और संशोधन कर देना  चाहिए कि स्थानीय लोगों के बयान और उस बयान का काट देने में असफल हुए आरोपकर्ता और गवाह  के मद्देनजर मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट के आधार पर केस को खारिज कर देंगे।Indian Evidence Act में धारा 24A जोड़कर इसका प्रावधान किया जाना चाहिए कि स्थानीय लोगों का बयान CrPC का धारा 157A के परिप्रेक्ष्य में सबूत होगी।

4.CrPC की धारा 154,155,161,162,164 ,190 और 200 में संशोधन हो-जब संज्ञेय मामले में धारा 154 और असंज्ञेय मामले में धारा 155 के तहत मामला दर्ज करने के लिए पुलिस को सूचना दी जाती है या जब धारा 190 के तहत मजिस्ट्रेट के पास शिकायत की जाती है तो सूचक गवाह का नाम आवेदन पर लिख देता है।गवाह का हस्ताक्षर वाला लिखित बयान शिकायत के साथ संलग्न नहीं होता।जो व्यक्ति अनपढ़  है या जो लिखित बयान  देने की अवस्था में नहीं है,ऐसे ही सूचक और गवाह से  पुलिस द्वारा  पूछकर बयान लिया जाना चाहिए या किसी विशेष जानकारी या खुलासा करवाने के लिए ही पुलिस द्वारा पूछकर बयान लिया जाना चाहिए।वादी का गवाह के रुप में दिया जाने वाला बयान लिखित होना चाहिए।इसलिए CrPC का धारा 161 सिर्फ ऐसे गवाह के लिए ही लागू होगी जो अनपढ़ हो या लिखित बयान देने में असमर्थन हो या जिनसे कोई विशेष जानकारी चाहिए जिसे वह गवाह लिखित बयान के रुप में नहीं प्रकट कर सकता।लेकिन धारा 162 के तहत पुलिस द्वारा पूछकर लिए गए बयान पर बयान देने वाला व्यक्ति का हस्ताक्षर और बयान की सत्यता की पुष्टि करने के लिए दो शिक्षित लोगों का हस्ताक्षर अनिवार्य कर देना चाहिए जिनके सामने में गवाही ली जाएगी।हरेक गवाह और सूचक का मजिस्ट्रेट के समक्ष CrPC का धारा 164 के तहत Confession देना अनिवार्य कर देना चाहिए।CrPC का धारा 200 में लिखा है कि यदि किसी लोक सेवक द्वारा सरकारी पद का निवर्हन करते हुए मजिस्ट्रेट के पास शिकायत की जाती है तो उसके शिकायत पर पुर्नबयान लेकर परीक्षण करने की जरुरत नहीं होगी।इस प्रावधान को हटा देना चाहिए।

5.CrPC में धारा 157B,164A और 200A जोड़ा जाए-यदि गवाह फर्जी होता है तो गवाह के द्वारा विरोधाभासी बयान दिया जाता है।CrPC का धारा 157B के तहत पुलिस के लिए अनिवार्य कर देना चाहिए कि वह गवाहों के बीच का विरोधाभासी बयानों का अवलोकन करे और विरोधाभासी बयानों के आधार पर जांच को रोक दे।CrPC का धारा 159 में संशोधन करके प्रावधान किया जाना चाहिए कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर विरोधाभासी बयानों के मद्देनजर मजिस्ट्रेट आरोप को खारिज कर दे।CrPC में धारा 164A  जोड़कर ये प्रावधान किया जाना चाहिए कि धारा 154 और 161 के तहत पुलिस के समक्ष सूचक और गवाह के द्वारा दिया गया बयान और धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में गवाहों के बीच का दिया गया बयान यदि विरोधाभासी  होता है या एक गवाह खुद अपने पूर्व के बयान से अलग बयान देता हैं तो  आरोप को खारिज कर दिया जाएगा।जब मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 190 के तहत की गई शिकायत में गवाह और सूचक  का बयान और उन्हीं के द्वारा धारा 200 के तहत परीक्षण के दौरान दिए गए पुर्नबयान में भिन्नता आती है तो धारा 200A के तहत इन विरोधाभासी बयानों के आधार पर आरोप को खारिज करने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होना चाहिए।धारा 159,164A और 200A में भी इसका प्रावधान किया जाए कि गवाहों के बीच का विरोधाभासी बयान और उसी गवाह के द्वारा पूर्व में दिए गए बयान में भिन्नता का अवलोकन करना मजिस्ट्रेट के लिए अनिवार्य होगी।

Indian Evidence Act का धारा 155(3) में संशोधन करके इसका प्रावधान किया जाए कि गवाहों के बीच के विरोधाभासी बयानों के आधार पर भी गवाहों को झूठलाया जा सकता है।अभी इस धारा के तहत एक गवाह के द्वारा दिया गया पूर्व की गवाही से भिन्नता के आधार पर उस गवाह को झूठलाने का प्रावधान है।एक गवाह का बयान दूसरे गवाह से फर्जी मुकदमा में निश्चित तौर पर भिन्न होता है,जिसके लिए प्रावधान नहीं है।

6.CrPC का धारा 155 के तहत दर्ज किए गए असंज्ञेय अपराध में जांच के लिए मजिस्ट्रेट का आदेश लेने के बाद ठीक यही सब नई प्रावधान लागू होगी जो  धारा 154 के तहत दर्ज किए गए संज्ञेय अपराध के लिए लागू होगी।

 7.झूठा मुकदमा को Motive और Criminal record  के आधार पर खारिज किए जाने का प्रावधान किया जाए।विशेषकर Whistle blower के विरुध्द दर्ज किए गए फर्जी मुकदमा में।यदि झूठे फंसाए जाने का कारण स्पष्ट होता है तो उस आरोप को खारिज कर देना  चाहिए-
(i)यदि जिसे झूठा फंसाया गया है,वह Whistle blower है और झूठा फंसाने का Motive स्पष्ट है।
(ii) झूठा फंसाने वाला या उसका गवाह या उसके पीछे के थर्ड पर्सन का आपराधिक पृष्ठभूमि है और झूठा फंसाने का Motive स्पष्ट है।

Motive,whistle blower और Criminal  Record को ध्यान में रखकर जांच करने के लिए CrPC में धारा 157C जोड़ा जाना चाहिए और जिसमें उपरोक्त बिन्दु के आधार पर पुलिस को जांच रोक देने का शक्ति होगा और CrPC का धारा 159 में संशोधन करके इन पहलुओं के आधार पर सुपुर्द किए गए पुलिस रिपोर्ट के आधार पर केस खारिज कर देने का शक्ति मजिस्ट्रेट के पास होगा।अभियुक्त का Whistle blower होना,झूठे फंसाने का Motive और सूचक,गवाह और उसके पीछे के थर्ड पर्सन का Criminal Record  अभियुक्त के पक्ष में एक सबूत होगी,जिसका प्रावधान  Indian Evidence Act में धारा 14A को जोड़कर किया जाना चाहिए।

8.कोर्ट द्वारा ये परखने के लिए कि वास्तव में कोई व्यक्ति पीड़ित है या नहीं,उस व्यक्ति के विरुध्द घटे घटना से उस पर पड़े मनोवैज्ञानिक असर को भी देखना पड़ेगा।साथ ही अभियुक्त पर पड़े मनोवैज्ञानिक असर के आधार पर भी इसका निष्कर्ष निकालना पड़ेगा कि अभियुक्त निर्दोष है या  दोषी।Indian Evidence Act का धारा 45 में संशोधन करके सभी कथित पीड़ित और अभियुक्त का प्रत्येक 6 महीना पर मनोवैज्ञानिक जांच कराकर मनोवैज्ञानिक का राय लेना अनिवार्य कर देना चाहिए।Indian Evidence Act का धारा 47 में संशोधन करके कथित पीड़ित और अभियुक्त के करीबी व्यक्ति का कथित पीड़ित और अभियुक्त के मनोवैज्ञानिक व्यवहार से संबंधित राय लेना अनिवार्य कर देना चाहिए।

9.CrPC का धारा 154(2) में FIR का कॉपी सूचक को मुफ्त में दिए जाने का प्रावधान है लेकिन अभियुक्त को दिए जाने का प्रावधान नहीं है,जो कि होना चाहिए।CrPC का धारा 172(3) के तहत अभियुक्त को केस डायरी देखने भी नहीं दिया जाना चाहिए,लेकिन इस धारा में संशोधन होना चाहिए कि प्रत्येक दिन का केस डायरी जांच के तुरंत बाद वादी और प्रतिवादी दोनों को उपलब्ध करा दिया जाए ताकि अभियुक्त अपना बचाव के लिए पहले से ही तैयार रहे और वादी भी अपना पक्ष पहले से तैयार रखे।CrPC का धारा 173(7) में लिखा है कि  धारा 170 के तहत अभियुक्त के विरुध्द पर्याप्त सबूत होने के आधार पर हिरासत में लेने पर उसे जांच रिपोर्ट और गवाहों का बयान आदि पुलिस द्वारा उपलब्ध करा दिया जाएगा।इसका मतलब ये हुआ कि पुलिस द्वारा हिरासत में नहीं लेने पर इन दस्तावेजों को उपलब्ध नहीं कराया जाएगा,जो कि इस धारा में संशोधन करके उपलब्ध कराया जाना चाहिए। 
वादी और प्रतिवादी दोनों को किसी कार्यवाही के अगले दिन ही संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए CrPC में एक धारा जोड़ा जाना चाहिए और मेरे ख्याल से धारा 172A इसके लिए उपयुक्त धारा रहेगा क्योंकि धारा 172 में केस डायरी लिखने का वर्णन है। 

10.CrPC का धारा 157 और नए जोड़े जाने वाले धारा 157A,157B और 157C में इसका प्रावधान किया जाना चाहिए कि पुलिस रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के पास धारा 159 के तहत संज्ञान लेने के लिए तभी भेजी जाएगी जब धारा 157,157A,157B और 157C में वर्णित जांच की प्रक्रिया को प्रथम दृष्टया पूर्ण कर लिया जाता है।FIR को 24 घंटे के भीतर सिर्फ सूचना के लिए मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी।इन धाराओं के तहत प्रथम  दृष्टया जांच करने का अधिकतम समय 7 दिन होगा।इन बिंदुओं पर प्रथम दृष्टया जांच करने के बाद ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जाएगी। 
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Monday, 9 June 2014

CHIRANJIWI ROY:A HABITUAL SEX OFFENDER

CHIRANJIWI ROY:A HABITUAL SEX OFFENDER

In  3 cases,Chiranjiwi Roy,the Principal Of Jawahar Navodaya Vidyalaya,Samastipur prima facie appears to be a habitual sex offender on the ground of the evidences collected by me.

Case No 1.A cases of section 354A Of the IPC-After Delhi Gang Rape Case ,section 354A  of the IPC has been inserted for the sexual harassment if there is physical touch ,sexually coloured expression etc.A girl,who is an  ex -student of JNV has   submitted her  written statement before me wherein she has admitted that once Chiranjiwi Roy had made  call to her  home,her father received the call and scolded Chiranjiwi Roy when he expressed his desire to talk with that Girl.Further,she has admitted that she is in the knowledge of the fact that  a girl was touched by  Chiranjiwi Roy.She also submitted that an another  girl had informed her that Chiranjiwi  Roy used to touch girls.Such conduct of C Roy amounts to an offence under section 354A of the IPC.This case has not been reported by  me in any proceeding like my application sent to the SP Samastipur by the then IG  Darbhnaga Zone  for the enquiry,my evidences sent to the Deputy Commissioner ,NVS Patna on his request  in connection with the complaint filed against C  Roy before the National Human Rights Commission ,my evidences sent to the NVS Headquarter in connection with the complaint filed against C Roy before the National Human Rights Commission because i am informed by that girl just a few days back.Case No.2 and Case No.3 has been reported before the aforementioned authorities.

Case No  2.A  Case of Section 376 of the IPC-Two boys (ex-students) and closed friend of a girl(ex-student) has admitted before me that after making contact with that girl,C Roy used to call her in his residence.The girl had said before  a boy  among these two that principal used to assault her sexually.Further,the same boy went to talk with that girl   after my advice  to make her to  come forward for her justice.That  girl remained silence and didn't reply anything.I have recorded the statement of a boy among these two wherein he is stating about this allegation.It has been stated by  a boy among these two that C Roy  used to make contact with her through telephone when she would be at home.So the CALL DETAIL RECORD SHOULD  BE TRACED.On the ground of statement of these two boys and call detail record,there must be medical examination of that girl and if the medical examination clears the sexual assault committed by C Roy,then C Roy should be prosecuted under section 376 of the IPC.

Case No 3.A Case of section 376C of the IPC-C Roy is in sexual contact with Ms. Kanchan,Matron of the school.That's why he has unlawfully benefited matron by attempting to get her daughter admitted fraudulently because three times the daughter of Matron has appeared in the JNVST having  different name and DOB.In 2011 ,she appeared in JNVST Class Sixth by name Shreya having DOB- 5.10.2000. In 2012 ,she appeared in JNVST Class Sixth by name Vishnu Priya  having  DOB- 15.03.2003 . In 2013,she appeared in JNVST Class Nineth by name Tulika Kumari having  DOB-4.3.1998.The son of matron has applied for JNVST 2011 for class sixth by name  Skand Kumar having DOB- 5.10.2000 but the same boy applied for lateral entry of  class nineth in 2013 with DOB- 30.12.2000…There once occurred event of trespassing of some boys into the girl’s  hostel and the matron defended such boys and concealed this fact.One girl who complained to the Principal in this regard has informed me  that even after her information,principal favoured matron and didn’t  believe that boys had trespassed into the girl’s hostel.The same girl  has informed me that the matron is torturing girls due to the undue  protection of principal given to the matron.

Such all conducts of the principal are circumstantial evidences  against him with the motive that he is unlawfully helping and  defending matron because he has sexual contact with matron…

Now,on the ground of circumstantial evidences and motive,principal can  be prosecuted under section 376C of the IPC because he has made sexual  contact with matron even being a public servant in authority and  custodian of matron,which is rape under section 376C of the IPC…

Now,One more thing has been disclosed that the educational  qualification of Ms.Kanchan ,Matron is not shown in the list of staffs displayed on the official website of JNV Samastipur(www.jnvsamastipur.bih.nic.in)  but educational qualification of all others staffs have been shown except Ms. Jyoti Kanchan,PET(F).It creates a reasonable doubt that Ms.Kanchan has been appointed by C Roy as a Matron  on the contract basis either due to the accessibility,not due to the merit or due to motive of C Roy to quench his sexual appetite by appointing her.How she was appointed without any qualification?
(Photo:- Ms Kanchan,Matron)
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Saturday, 7 June 2014

AN EMAIL FROM AAM AADMI PARTY-PAKISTAN

Arshad Sulahri Ji,founder of AAM AADMI PARTY -PAKISTAN has sent me an email.

The same email is presented below:-

Our Dearest Contemporaries.

I am sending this message to you on behalf of Central Organizing Committee of Aam Aadmi Party (AAP) Pakistan. We have launched AAP initially in the first week of January 2014 on internet and succeeded to contact public of our homeland in last week of January 2014. Aam Aadmi means commoner.
The reason to launch AAP Pakistan is to fill the space of a genuine party for public of our homeland. We have noticed that all of our motherland national parties are today are serving our elite as the most profitable financial organizations. Sociopolitical condition of the public is become worst with each coming day. Economical and sociopolitical system of the country has been collapsed and there is a state of civil war in all provinces. Nevertheless the elite class is still getting their financial profits ruling the country. People are paying largest portions of the national taxes but up to 80 percent of the population is constrained to live below poverty line. The elite of Pakistan have destroyed the constitution and there has never been an effective interior and foreign policy. There is no justice, rule of law and administration. People of our homeland are lifeless and blamed as the corrupt nation. They sacrifice their lives in forces and work every day harder than each past day but there is no security for their lives. Ruling class lives like monarchs but offers no remedy for this cancerous situation. Intellectuals are being bribed and the most intelligent and honest people are always killed.
In these lower depths of darkness (Pataal) we have raised our voices to gather public under the flag of
Pakistan in the most vulnerable sociopolitical conditions. The draft of our manifesto is as follows;
1. Employment for all will be ensured
2. Basic requirements like water, gas, electricity, food and accommodation will be provided at affordable rates
3. To fulfill urgent needs of people
4. Financial support to handicapped and eunuchs and elimination of beggary
5. Promotion of universal human values and elimination of political, social and religious exploitation
6. Elimination of terrorism, extremism, and fundamentalism to promote peace
7. To reverse privatization for promotion of national institutions/companies through planned economy
8. To seek harmony with nations of the world against tyranny of capitalism to achieve real political
and economic freedom
9. Control of state over national resources and production
10. Promotional of national products to eliminate domination and price-hike
Although all of our political parties show of that they hold similar manifestoes but they wholeheartedly serve upper class interests. None of our representative has been in provincial or national assemblies. Our ruling class has always been master of our destines like a butcher and there has never been an end to our miseries. First time in the history of Pakistan commoner have raised their flag to decide our self about our own lives and motherland without an upper hand of any self-centered leader from upper class. It is very high time now to decide and support people of Pakistan otherwise it will be late forever to bring change here. We look forward for your moral, political and social support to support this movement.
Thanks and best regards,
Arshad Sulahri
AAP Pakistan
52 – Ali Town, Main Street, Adyala Road, Rawalpindi, Pakistan Email: aamaadmipartypakistan@gmail.com www.aamaadmipartypakistan.wordpress.com
Arshad Sulahri
0092-345 5279224
0092-313 5129453
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*Arshad Sulahri*
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(Title :Rana Muhammad Arshad) *NIB Bank* Branch , Adyala Road 
,Rawalpindi
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FRAUDULENT ADMISSION IN IITs AND MEDICAL COLLEGES

चिरंजीवी राय,प्राचार्य,जवाहर नवोदय विद्यालय,बिरौली,समस्तीपुर के विरुध्द उसके दो बेटा के Fraudulent Admission के मामले में कुछ दिन पहले केन्द्रीय सतर्कता आयोग(CVC) ने CVO जांच का आदेश देते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी(CVO) को जांच कर रिपोर्ट आयोग को सौंपने का आदेश दिया है।इस केस में सिर्फ चिरंजीवी राय और उसका दो पुत्र ही अभियुक्त नहीं है बल्कि IIT-JEE 2012 आयोजित कराने वाला IIT और 18077 रैंक पर नामांकन लेने वाला सरकारी मेडिकल कॉलेज भी अभियुक्त है।अभी मुख्य सतर्कता अधिकारी केन्द्रीय सतर्कता आयोग को जांच रिपोर्ट सुपुर्द करेंगे,उसके बाद सतर्कता आयोग आगे की कार्रवाई करेगी।मुख्य सतर्कता अधिकारी द्वारा अभियुक्तों को बचाने और फिर उस रिपोर्ट के आधार पर कानूनी कार्रवाई करने से मना करने पर मुख्य सतर्कता अधिकारी और केन्द्रीय सतर्कता आयोग को भी अभियुक्त बनाया जाएगा।

चिरंजीवी राय का बेटा रवि रंजन के विरुध्द मुझे दस्तावेजी सबूत प्राप्त हुए हैं कि रवि रंजन NEET 2013 का परीक्षा में धोखाधड़ी करके बैठा था और राहुल रंजन ने मेरे साथ फेसबुक वार्तालाप में खुद परोक्ष रुप से स्वीकार किया है कि उसका IIT में नामांकन सेटिंग पर हुआ है।रवि रंजन गणित से वर्ष 2012 में CBSE से बारहवीं परीक्षा दिया जिसके आधार पर JEE MAIN 2013 का फार्म भरा।लेकिन 2013 में ही NEET का परीक्षा भी दिया जिसके लिए बारहवीं में जीवविज्ञान से उत्तीर्ण होना जरुरी है।इसका मतलब उसने गणित के साथ साथ जीवविज्ञान से भी बारहवीं का परीक्षा दिया।मतलब एक साथ दो प्रमाणपत्र का उपयोग कर रहा है जो धोखाधड़ी है।मेरे पास रवि रंजन का CBSE वाला बारहवीं का MARKS SHEET,JEE MAIN का ADMIT CARD और MARKS SHEET तथा NEET का Admit Cart और MARKS SHEET उपलब्ध है।वह जीवविज्ञान से बारहवीं का परीक्षा NIOS से दिया है।मतलब उसने एक साथ दो प्रमाणपत्र का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी करने के साथ साथ दो बोर्ड का इस्तेमाल करके भी धोखाधड़ी करने का कार्य किया है।रवि रंजन का 18077 All India रैंक होने के बावजूद पश्चिम बंगाल के एक अच्छे सरकारी मेडिकल कॉलेज में नामांकन हो गया जबकि 18077 रैंक पर नामांकन नहीं होता।

राहुल रंजन से फेसबुक वार्तालाप में मैंने पूछा था कि क्या IIT सेटिंग और पैसा पर भी होता है।उसने जवाब दिया कि क्या हुआ।फिर मैंने कहा कि उसने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।फिर उसने जवाब दिया कि नहीं,क्यों क्या हुआ।मैंने उसके बारे में नहीं पूछा था कि उसका नामांकन सेटिंग और पैसा पर हुआ भी है,उसके बावजूद उसने दो बार बोला कि क्या हुआ।जब उसका नामांकन सेटिंग और पैसा पर नहीं हुआ होता तो वो सीधे मेरा सवाल का जवाब देता ना कि क्या हुआ दो बार बोलता।राहुल रंजन का जवाब उसे संदिग्ध के रुप में प्रस्तुत करती है और CrPC का धारा 157 में लिखा है कि यदि अपराध पर संदेह करने का आधार है तो अपराध की जांच होनी चाहिए।इसलिए राहुल रंजन के विरुध्द जांच होनी चाहिए।

आप निम्न डिटेल के आधार पर रवि रंजन का Result Card देख लीजिए।
DOB-24/04/1995
JEE MAIN 2013 का Roll NO.90522452,
CBSE CLASS 12 Of Year 2012 का ROLL NO.7633569
NEET-UG 2013 का ROLL NO.81815403 and NEET-UG 2013 REGISTRATION NO.1774554.

(Photo:Letter received from the Central Vigilance Commission)
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Friday, 6 June 2014

A BRIEF VIEW ON ARTICLE 370

The only act which has impressed me by its provisions is the POCSO (The Protection Of Children From The Sexual offences ) Act,2012.This act has covered all proceedings for the free and fair investigation of the case.It has mentioned such proceedings which can't give accused to be acquitted and also can't give innocent to be trapped falsely.

Section 22(1) of the said act provides punishment against such third person who makes false complaint on behalf of a child.I have filed a Public Interest Litigation in the Hon'ble Supreme Court Of India by post seeking enquiry into the role of third person in making complaint and especially in the case of a whistle blower.Section 22(3) of the said act provides punishment against making false complaint against a child.Further,Section 26(4) of the said act empowers the magistrate and police to record the statement of a child in presence of audio-video electronic means.Section 27(1) of the said Act makes medical examination of the child mandatory whether FIR is lodged or not. Section 33(4) of the said acts says to ensure child friendly environment in the court and section 37 of the said act says to ensure trail of the court IN CAMERA.

If these all provisions are followed honestly,then it is sure that no innocent will be trapped falsely and on the other hand,there will be no way for the accused to be acquitted.
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A BRIEF VIEW ON ARTICLE 370

जरुरी इस बात की है कि कश्मीरी का भारतीय के प्रति लगाव पैदा किया जाए।भारतीय का कश्मीरी के प्रति लगाव है ही।जरुरी इस बात की है कि अनुच्छेद 370 को चरणबध्द तरीके से हटाया जाए।सर्वप्रथम वहाँ के नागरिकों को हाईकोर्ट में अपने कानूनी अधिकार (Presently people have right to move High Court only in the matter of fundamental rights which are quite limited) के लिए याचिका दायर करने का अधिकार बहाल किया जाए और सुप्रीम कोर्ट में भी जाने का अधिकार बहाल किया जाए।न्यायालय को राज्य सरकार की कानून को समीक्षा करने का शक्ति दिया जाए।अनुच्छेद 370 में सर्वप्रथम ये संशोधन किया जाए।जब वहाँ के नागरिकों को ये सब अधिकारें दी जाएगी तो वहाँ के नागरिकों का भारतीय से लगाव बढ़ेगा।फिर अनुच्छेद 370 के अन्य प्रावधानों को हटाना भी आसान रहेगा।


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Punish the Police and Railway Officers

Braj Bhushan Dubey Ji has raised an issue of not investigating the spot of crime by the police under the political influence and torturing of innocents in order to conceal the conspiracy by trapping innocents in place of actual powerful culprits in connection with a murder case.

He has written as under:-

''दुखद यह भी है कि इतनी बडी घटना के बाद पुलिस के बडे अधिकारियों का मौके पर जाना तो दूर थाने का प्रभारी भी नहीं गया मौके परI''

Now section 166A(b) of the IPC provides punishment upto 2 years if the procedure of the investigation is not followed by the police.Under section 157(1) of the CrPC,it is clearly written that police has to investigate the spot and it has been disobeyed by the police,so the police deserves to be punished under section 166A(b) of the IPC.

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It has brought to notice by कन्हैया सिंह हिन्दुस्तानी Ji that one Railway Station of Uttar Pradesh Namely जमानिया has levied commission on ticket.This is totally illegal and unfair act because there is no provision in the Railways Act,1989 regarding imposition of commission.

Power to fix rates has been described under section 30 of the Railways Act,1989 as under:-

30. Power to fix rates.-(1) The Central Government may, from time
to time, by general or special order fix, for the carriage of
passengers and goods, rates for the whole or any part of the railway
and different rates may be fixed for different classes of goods and
specify in such order the conditions subject to which such rates shall
apply.
(2) The Central Government may, by a like order, fix the rates of
any other charges incidental to or connected with such carriage
including demurrage and wharfage for the whole or any part of the
railway and specify in the order the conditions subject to which such
rates shall apply.

Further,
Demurrage and Wharfage are defined in the Railways Act, 1989 (No. 24 of 1989) as under :
"Demurrage" means the charge levied for the detention of any rolling stock after the expiry of free time, if any, allowed for such detention.
"Wharfage" means the charge levied on goods for not removing them from the railway after the expiry of the free time for such removal.

Now it is evident from the provisions that that there is no provision for the commission.Then on the what ground commission is levied? The conduct of concerned railway officers are punishable offence under section 409 of the IPC for the Criminal breach of trust,under section 420 of the IPC for the cheating and under section 13 of the Prevention of the Corruption Act,1988 for the criminal misconduct.

Further,it has been informed by Kanhaiya ji that there is no Govt Ticket Counter in the Railway Station Of Jamania..There is only one Private Ticket Counter.. But there must be Govt Ticket Counter and officially the concerned officials of that Station would be showing that counter as the Govt Ticket Counter and on the other hand,it is conveyed to the people,that the same counter is Private Counter...When the station would have to submit total money collected through Ticket,then it would be shown but on the other hand ,people are conveyed it as Private..I have concluded that the same Govt Ticket Counter has been shifted into Private Ticket Counter and it's so done because what additional commisison is collected after selling Ticket in the name of Private Counter can be shared among the railway officials and the person who has opened the so called Private Counter.

C RANGARAJAN: A FRAUD ECONOMIST

C  RANGARAJAN: A  FRAUD  ECONOMIST


The committee headed by C Rangarajan has suggested to  double the price of    domestically produced natural gas on the ground of the total average sum of the average price of the  back 12 months imports  of  Natural Gas into India and average price of  back 12 months  of  the Natural Gas in the Country Of  America, Britain and Japan.If we get the  said  average  sum of the average price  of the Natural Gas imported to India and Average price of  Natural Gas in the Country Of  America, Britain and Japan,then the price becomes double of the present price of the domestically produced natural gas.

Now question arises,how on the ground of the  average price of  back  12 months of  imported natural gas into  India and average  price of back 12 months of the natural gas of America,Britain and Japan,the price of domestically produced natural gas is being hiked  double?What is the relationship in between the imported average price,average price of other countries  etc  and the price of Indian Domestically Produced Natural Gas?


 The price of Indian domestically produced natural  gas should be increased on the ground of its own loss if it is faced on production or if the cost of production is higher than the price fixed for the selling of natural gas.So,it can be easily said that C Rangarajan has cheated the people of India and he is a fraud economist.


If the question of loss arose  in the production of natural gas,then there must have been CAG Audit before hiking the price double.Under  Article  149 of the Constitution Of India,CAG is empowered to  audit the accounts of the union and states and if Govt pays double price to Reliance Industry,then there is the loss in the treasury of Govt .So,to examine whether Reliance is facing loss or not,there must have been CAG Audit in place of  set up of C Rangarajan Committee. Also, nothing is written under  
 Section 10 of  THE COMPTROLLER AND AUDITOR-GENERAL'S (DUTIES, POWERS AND CONDITIONS OF SERVICE) ACT, 1971 which can prohibit the CAG to compile the accounts of the Ministry Of  Petroleum and Natural Gas and nothing is written under section 13 of the THE COMPTROLLER AND AUDITOR-GENERAL'S (DUTIES, POWERS AND CONDITIONS OF SERVICE) ACT, 1971 which can prohibit the CAG to audit  the accounts  of the Ministry Of  Petroleum and Natural Gas.Therefore,there must have been the CAG audit in place of set up of C Rangarajan committee.

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