पटना उच्च न्यायालय में पक्ष मजबूत करने के लिए एक RTI कार्यकर्ता को झूठा फंसाए जाने के विरुध्द The Whistle Blowers Protection Act,2014 का प्रयोग किया जाएगा।RTI से एक ऐसा खुलासा हुआ जिसे बिहार के समाचार पत्रों के प्रथम पन्ने पर जगह मिला,लेकिन खुलासा के कुछ दिन बाद खुलासा करने वाले को बलात्कार के फर्जी आरोप में फंसा दिया गया।यूभीके कॉलेज मधेपुरा का शिक्षा माफिया प्राचार्य माधवेन्द्र झा के विरुध्द खुलासा हुआ कि वह बिहार बोर्ड से मैनेज करके किसी भी +2 विद्यालय के नाम पर उस विद्यालय के प्राचार्य का फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर परीक्षा फार्म भरवाकर बोर्ड परीक्षा दिलवाता है जबकि वास्तव में ऐसे परीक्षार्थियों का नामांकन संबंधित उच्च विद्यालय में नहीं होता।ऐसे 105 फर्जी परीक्षार्थियों का रिजल्ट बिहार बोर्ड ने रोक दिया था और माधवेन्द्र झा के विरुध्द गिरफ्तारी वारंट जारी हुई थी।खुलासा करने वाले नागेश्वर झा उसी कॉलेज का व्याख्याता हैं जिन्हें मोना कुमारी,कॉलेज की Accountant को आगे करके बलात्कार के आरोप में माधवेन्द्र झा द्वारा फंसवाया गया।
मैंने नागेश्वर झा को The Whistle Blowers Protection Act,2014 के बारे में बताया,फिर उनके वकील को मैंने मैसेज करके इसे उनके संज्ञान में लाया।वकील ने फिर नागेश्वर झा से बात किया और बताया कि वह अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में होने वाली बहस में इसका प्रयोग करेंगे।The Whistle Blowers Protection Act,2014 को 9 मई 2014 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति दी गई।इस कानून की धारा 11 के मुताबिक किसी भी Whistle Blower (आवाज उठाने वाले) को महज इसलिए झूठे मुकदमा में फंसाकर प्रताड़ित नहीं करना चाहिए क्योंकि वह एक Whistle blower है। सरकार और संबंधित विभाग का दायित्व है कि वह Whistle blowers को झूठे मुकदमा से बचाए।
सेशन कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया है लेकिन वहाँ The Whistle Blowers Protection Act का प्रयोग नहीं किया गया था।हाईकोर्ट में इसका प्रयोग किया जाएगा लेकिन यदि इसके बावजूद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत नहीं दिया तो यही माना जाएगा कि हाईकोर्ट भी महाभ्रष्ट है जो भ्रष्टाचार के विरुध्द आवाज उठाने वाले(Whistle blowers) को झूठे फंसाने वाले भ्रष्टाचारी का संरक्षण और आवाज उठाने वाले का दमन करती है।
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