यदि जनता को खुद सजा देना है तो किसी को चोरी,छीना-झपटी आदि में पकड़ने पर पीटने के बजाय भ्रष्टाचारी सरकारी गुंडा द्वारा जबरन वसूली करते पकड़ने पर उसे सार्वजनिक रुप से फांसी पर लटका दे।हमें कट ऑफ से ज्यादा अंक है,उसके बावजूद नामांकन के लिए रुपये दो।FIR की एक कॉपी निशुल्क देना है,उसके बावजूद कॉपी लेने के लिए रुपये दो।आधार कार्ड निशुल्क बनाना है,उसके बावजूद तीस रुपये दो।ऐसे हजारों उदाहरण हैं जिसे हम घूस देना कहते हैं,लेकिन ये घूस नहीं जबरन वसूली है।ऐसे सरकारी गुंडा को सार्वजनिक रुप से फांसी पर लटका दे। चोर जब छिपकर चोरी करता है तो वो भयभीत रहता है और प्रायः चोरी करना उसकी मजबूरी होती है लेकिन कुछेक बार पकड़ाने पर पिटवाकर मारा जाता है।एक सरकारी गुंडा खुले तौर पर वसूली करता है और हम देखते रहते हैं।उसे चोर,चोर कहते हैं,इसे सर,सर कहते हैं?
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