Saturday, 25 April 2015

Online Complaint to the CM Against the DM


I am of the well settled opinion that advising Indian women not to be subjected to the slavery of westernization doesn't amount to controversial statement.However,only advising women not be subjected to slavery of the western culture reflects sexist mentality.Men must be advised equally.If it is assumed that westernization of Indian women has led to the increment in the frequency of rape,then it must also be assumed that westernization of Indian men has equally led to the increment in the frequency of rapI am of the well settled opinion that advising Indian women not to be subjected to the slavery of westernization doesn't amount to controversial statement.However,only advising women not be subjected to slavery of the western culture reflects sexist mentality.Men must be advised equally.If it is assumed that westernization of Indian women has led to the increment in the frequency of rape,then it must also be assumed that westernization of Indian men has equally led to the increment in the frequency of rape.
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कुमार रवि,डीएम,दरभंगा द्वारा नियम होने के बावजूद वृध्दावस्था/विकलांगता/विधवा पेंशन का वितरण मेरा पंचायत मुख्यालय में कराने से पीछा हटने के विरुध्द सीएम के जनता दरबार में ऑनलाइन शिकायत किया जिसपर डीएम को 14 दिनों के भीतर कार्रवाई कर रिपोर्ट देने कहा गया है।डीएम से जब इस मामले को लेकर 4 दिसंबर 2014 को मिला था तो उन्होंने कहा था कि इन पेंशनों का वितरण पंचायत मुख्यालय में करने का आदेश वे सभी बीडीओ को पहले ही दे चुके हैं और उन्होंने मेरा प्रखंड के बीडीओ को पंचायत मुख्यालय में वितरण करने के लिए फोन पर आदेश दिया।लेकिन इसके बावजूद प्रखंड मुख्यालय में ही वितरण जारी रहने पर 20 फरवरी 2015 को डीएम से फोन पर बात किया तो उन्होंने कहा कि पंचायत में बांटने पर रुपये की लूट हो जाएगी।इसलिए सीएम के जनता दरबार में ऑनलाइन शिकायत किया गया।लेकिन विडंबना ये है कि जिस डीएम के उदासीनता के विरुध्द सीएम को शिकायत की गई,उसी डीएम के पास कार्रवाई हेतु शिकायत भेज दिया गया।कई वृध्द और विकलांग व्यक्ति यातायात सुविधा का अभाव होने के कारण पंचायत से प्रखंड यानि 12 किलोमीटर पैदल जाने में असर्मथ हैं जिसके कारण मानवाधिकार हनन का ये मामला है।
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बिहार में नियोजित शिक्षकों द्वारा वेतनमान की मांग को लेकर विद्यालय में की जा रही तालाबंदी पर एक नियोजित शिक्षक द्वारा फेसबुक पर मुझसे मांगी गई वैचारिक व कानूनी मदद पर मेरा जवाब-
''मेरा विचार कुछ अलग है।मैं तालाबंदी,प्रदर्शन,धरना आदि पर विश्वास नहीं करता।कुछ ऐसा करे जिससे काम भी हो और हड़ताल भी।मतलब भूखे रहकर काम करे।यदि सही में मानदेय कम होने के कारण हम अपनी जरुरतों को पूरा नहीं कर सकते तो भूखे रहकर विद्यालय में पढ़ाना बेहतर है।विद्यालय में पढ़ाए भी और वही पर आमरण अनशन पर भी लगातार चौबीस घंटे बने रहे।बीच में उठकर घर या कहीं और नहीं जाना है।ये हुई विरोध का तरीका।
दूसरा,नियोजित शिक्षकों को वेतनमान मिलना तभी न्याय के हित में है जब छात्रवृति,पोशाक,मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं व शिक्षको को विद्यालय भवन निर्माण का ठेका देने जैसी नीति को बंद कर दिया जाए या इसका संचालन किसी दूसरे एजेंसी के द्वारा किया जाए।इन योजनाओं व ठेकाओं से ज्यादातर नियोजित शिक्षक भी जितनी उनकी मानदेय है,उतना या उससे ज्यादा गलत तरीके से आय प्राप्त कर लेते हैं व इन योजनाओं व ठेकाओं के कारण शिक्षकों द्वारा पढ़ाई कम जाती है और गलत माहौल का निर्माण ज्यादा किया जाता है।''
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  • Prakash Kumar bhaijee ye teacher sb aise krne waale nhi .primary school me 90%teacher aise he wo sirf apne" vetan " lene ke liye aate h.unhe students se koi mtlb hi nhi hota .wo kya padhate h unhe kuchh nhi pta hota.
  • Prakash Kumar aur vetan.ke liye school pe lock.lga dete h .unhe students se kya dikkt h .wo aisa kuchh kre ki pressure sarkar pr aaye .na ki students pr .ek to primary school ki teaching achhi nhi upr se school unnecessarily band ho jayegi ye to students ke saath nainsafi hogi na .
  • Rahul Kumar #Prakash-I completely agree with you.
  • DrBhanu Pandey Sahmat hun Rahul. Bina kisi ko pareshann kiye apna virodh hona chahiye...
  • Prakash Kumar yahi ek achha solution hota h sir .you have better experience.
  • Sateyandra Gope एक दम सही कहा आप ने ये हड़ताल के चक्कर में विदार्थियो नुकसान और शिक्षकों फायेदा होता है एसा नहीं होना चाहिए.
  • Abhay Kumar i agree with the statement of rahul kumar
  • Sateyandra Gope अभय जी आप पूरी बात साफ-साफ बोले किस बात पर अग्री है शिक्षकों द्वारा वेतनमान की मांग या विदार्थियो के नुकसान पर ?
  • Gaurav Agarwal bahot hi aacha vichar isase padhai bhi kharab nhi hogi inki mange bhi mani jaa sakti h, ek baat aur bharat me kisi bhi baat ko manwane ke lye log strike kar dete hain jaise example ye teacher log , inko apne profession se pyar nhi h tabhi to ye log blackmailer ban gye hainn , agar yahi sab karna tha to teacher kyun bane chor uchake blackmailer ban jate , kya ek teacher ko ye aacha lagega ki uske students ka career kharab ho? agar asli teacher hote to ye aisa hi karte jaisa aap kah rahe ho #Rahul Kumarji
  • राहुल विश्वकर्मा गाजीपुरी Bacho ko padhate hai jitna utna milta hai pisha hame lgta hai vetan inka nahi badhana nahi chaheye kyo ki srkari school mai ab bache padhate kaha hai ?
  • Bam Shankar Jha संतोषं परम सुखम्
  • Jitendra Kumar 9000 mahina uspar bhi 7 se 8 mahino tak payment ka na milna.
    Aplogo ko iska andaza nahi hai.
    Karz me dube badhal sixak uspar mdm.

    Bal panji.
    Election work.
    Janganna.
    Matganna.
    Blo.
    Exam .
    Etc.
    Pagal ho jaoge.
  • Arvind Kumar Singh very nice suggestion,me too has the same saying to my teacher friend.
  • Jitendra Kumar Ek teacher ka dukh ek teacher hi samajh sakta hai dost.
    Log to sochte hai sarkari teacher sirf time pass karte hai.
    Unhe ye pata nahi daily 9 se 4 bachho ke peechhe bhoukte bhoukte halat kharab ho jati hai.
  • Arvind Kumar Singh ap duty ko bhaukna kahte hi saf pata chalta hai apko teaching me interest nhi hi ,dost apne passion ka kam karo
  • Arvind Kumar Singh bina mehnat k ap tenth pass hue the,nhi n !
  • Jagannath Jaggu पुर्णतः सहमत हूँ..यह अपनी जरूरतों की मांग का अच्छा तरीका हो सकता हैं।
  • Sateyandra Gope एक बात मैं कहना चाहूँगा हमारे बिहार और उतरप्रदेश के शिक्षकों में ये ही एक कमी है की ये अपना ज्ञान बाटते नहीं हैं बल्कि बेचते है ओ भी ईमानदारी से नहीं, इसलिए हमारा बिहार और उतरप्रदेश शिछा के मामले में बहुत पीछे हैं, एक ग्रेजुएट लड़का भी ठीक से इंग्लि...See More
  • Rahul Kumar सभी मित्रों को मूल्यवान टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद। 
    #जितेन्द्रजी-8-8 महीनों का मानदेय बाकी होना एक अलग मुद्दा है और नियोजित शिक्षकों का कर्ज में डूबने का कारण महीनों का मानदेय बकाया होना है ना कि मानदेय का कम होना।फिर आपलोग महीनों बकाये मानदेय का 
    भुगतान नहीं होने का विरोध क्यों नहीं करते?चुनाव ड्यूटी,जनगणना,परीक्षा इन सभी कार्यों के लिए वेतन के अतिरिक्त अलग से रुपये भी मिलती है।इसलिए कुछ भी तर्क देकर नियोजित शिक्षक के लिए सहानुभूति प्राप्त करने की कोशिश ना करे।किसी भी सरकारी स्कूल में 9 से 4 पढ़ाई नहीं होती।बहुत से बहुत 10 से 3 होती है और बीच में टिफिन भी होता है।आप 2 घंटे बढ़ाकर बोल रहे हैं।
  • Amit Kumar baat to apki sahi ha bhai
  • Rahul Kumar #जितेन्द्रजी-जब सारे शिक्षक मिलकर कम मानदेय के कारण सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर सकते हैं तो फिर सारे शिक्षक मिलकर 8-8 महीने तक बकाये मानदेय का भुगतान में रुकावट पैदा करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन क्यों नहीं कर सकते?आप लोग के संगठन के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना आसान है,लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करने की हिम्मत नहीं है,ऐसा क्यों है?नियोजित शिक्षकों की बदहाल आर्थिक स्थिति का जड़ कई महीनों का मानदेय का बकाया होना है जिसके खिलाफ कोई हड़ताल नहीं।कम मानदेय मिलना बदहाली का कारण नहीं है,उसके बावजूद हड़ताल?
  • Vikas Kumar Ye sahi tarika hai hartal ka Jo app bole hai 
    Par Jo teacher hai 100%mai 20℅ ko hi padhane at a hai oro ko nahi ..
    Isse cheld... Ko kay anuvav hoga or shicha mai kay hoga 

    Yese mai country ka sakcharata dar Gath jayega
  • Rahul Kumar
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  • Rahul Kumar

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