गीता का प्रथम अध्याय का 40वाँ श्लोक-
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः।
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसंकरः।।
भावार्थ-अर्जुन श्रीकृष्ण से कह रहे हैं कि हे कृष्ण!अधर्म के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय(कृष्ण)!स्त्रियों के दूषित होने पर वर्णसंकर(अवैध संतान) उत्पन्न होता है।
भले ही ये श्लोक गीता का है लेकिन ये गीता का संदेश नहीं है क्योंकि ये कथन अर्जुन का है,श्रीकृष्ण का नहीं।लेकिन मैंने कुछ पौराणिक पंडितों का इस श्लोक पर की गई टिप्पणी को पढ़ा जिसमें अर्जुन के इस कथन को सही ठहराया गया है जबकि स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन के इस कथन का सत्यापन गीता में नहीं किया है।
पहला सवाल ये है कि क्या अधर्म के बढ़ जाने से सिर्फ स्त्रियाँ दूषित होती है?क्या पुरुष दूषित नहीं होते? दूसरा सवाल ये है कि अवैध संतान उत्पन्न करने के लिए क्या सिर्फ स्त्रियाँ दोषी होती है?क्या अवैध संतान उत्पन्न करने वाला पुरुष दोषी नहीं होता?
अधर्म के बढ़ जाने से पुरुष और स्त्री दोनों समान रुप से दूषित होते हैं और अवैध संतान उत्पन्न करने के लिए भी दोनों समान रुप से दोषी होते हैं। पुरुषवादी समाज अर्जुन के इस कथन को भी गीता में लिखित मानकर स्त्री को दूषित और दोषी करार दे देता है।
चूँकि कृष्ण प्रेम का प्रतीक हैं क्योंकि सभी गोपियाँ उनकी प्रेमिका थी और उनकी सोलह हजार पत्नियाँ थी,इसलिए पुराणपंथी चाहकर भी ये कथन कृष्ण के मुख से कहलवाकर गीता में जोड़ने में असमर्थ थे,इसलिए ये कथन अर्जुन के मुख से ही कहलवाकर गीता में जोड़ दिया गया और पुराणपंथी ने इसे गीता का लिखित कथन कहकर सही ठहरा दिया जिसे पुरुषवादी समाज ने स्वीकार कर लिया।
सिर्फ गीता ही नहीं,पुराण,मनुस्मृति,कुराण आदि में भी स्त्री को ही दूषित और दोषी करार दिया गया है।इसी का परिणाम है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में दूसरे पुरुष के साथ नाजायज संबंध बनाने वाली पत्नी के कृत्य को ही जार कर्म (Adultery) की श्रेणी में रखकर दूसरे पुरुष के विरुध्द पाँच साल की अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है लेकिन दूसरे महिला के साथ नाजायज संबंध बनाने वाले पति के विरुध्द कोई सजा नहीं है।धारा 497 के विरुध्द पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को डाक से मैंने जनहित याचिका प्रेषित किया है जिसमें पत्नी और उसकी नाजायज साथी तथा पति और उसका नाजायज साथी,सभी के विरुध्द सजा का प्रावधान करने की मांग की गई है।
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