भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश,2014 संविधान का अनुच्छेद 123 का विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है।अनुच्छेद 123 के अनुसार अध्यादेश ऐसी परिस्थिति में ही लायी जा सकती है जब कोई शीघ्र कार्रवाई की जरुरत हो।अनुच्छेद 123 का विश्लेषण किया जाए तो अध्यादेश के प्रस्तावना में ये लिखा होना चाहिए कि ऐसी कौन-सी परिस्थिति आ गई जिसके विरुध्द शीघ्र कार्रवाई की जरुरत है।मतलब इस अध्यादेश में ये बताना पड़ेगा कि ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई जिसके कारण पाँच उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण के लिए 70 प्रतिशत(सार्वजनिक प्रोजेक्ट में) या 80 प्रतिशत(सार्वजनिक-निजी प्रोजेक्ट में) भूस्वामी की सहमति के प्रावधान को शीघ्र हटाने की जरुरत पड़ गई,वगैरह,वगैरह।
बीमा संशोधन विधेयक और कोयला खनन संशोधन विधेयक इस शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में पारित नहीं हो सका इसलिए ये माना जा सकता है कि अध्यादेश के जरिये इन दो कानूनों में संशोधन की सरकार के लिए शीघ्र जरुरत थी लेकिन भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को तो संसद के किसी सदन में पेश भी नहीं किया गया,लेकिन सत्र समाप्ति के तुरंत बाद अध्यादेश को लाया जा रहा है,इससे जाहिर होता है कि इसमें संशोधन की शीघ्र जरुरत नहीं थी।
बीमा संशोधन विधेयक और कोयला खनन संशोधन विधेयक इस शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में पारित नहीं हो सका इसलिए ये माना जा सकता है कि अध्यादेश के जरिये इन दो कानूनों में संशोधन की सरकार के लिए शीघ्र जरुरत थी लेकिन भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को तो संसद के किसी सदन में पेश भी नहीं किया गया,लेकिन सत्र समाप्ति के तुरंत बाद अध्यादेश को लाया जा रहा है,इससे जाहिर होता है कि इसमें संशोधन की शीघ्र जरुरत नहीं थी।