Tuesday 16 June 2015

उत्तर-पुस्तिका देने के लिए दो हजार रुपये

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा आरटीआई एक्ट के तहत उत्तर-पुस्तिका प्रदान नहीं कर रही है और उत्तर-पुस्तिका देने के लिए दो हजार रुपये ले रही है।मेरा एक क्लासमेट द्वारा आरटीआई आवेदन दायर करने के बाद इसकी जानकारी हुई।
मैंने कुलपति साकेत कुशवाहा से बात कर कहा कि उत्तर-पुस्तिका आरटीआई आवेदन के माध्यम से मांगे जाने पर आरटीआई रुल्स के तहत निर्धारित शुल्क लेकर ही दिया जाना चाहिए तो उन्होंने कहा कि ये साकेत कुशवाहा का फैसला नहीं है,परीक्षा बोर्ड का फैसला है।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को सूचना आवेदन भेजकर मैंने उत्तर-पुस्तिका मांगा था जिसमें प्रति विषय सौ रुपये के अतिरिक्त दो रुपये प्रति पेज जमा करने कहा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने CBSE & Anr vs Aditya Bandopadhyay & Ors,2011 AIR SCW 4888 में फैसला दिया है कि उत्तर-पुस्तिका प्राप्त करना आरटीआई एक्ट के दायरे में है।इसलिए उत्तर-पुस्तिका आरटीआई रुल्स के तहत निर्धारित शुल्क पर ही दिया जाना चाहिए।
उक्त विश्वविद्यालय और बिहार बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आरटीआई रुल्स के विरुध्द अपना नियम बना रखा है,इसलिए मैं राज्य सूचना आयोग में शिकायत दायर करने जा रहा हूँ।




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I have closely observed a case of high level corruption in the High Court of Judicature at Patna, wherein the bench of presiding Judge was changed twice without prior order of the presiding Judge, who was hearing the bail petition of a ten years imprisoned offender u/s 307 IPC.
The matter came up for hearing before Justice Ashwani Kumar Singh and he ordered to call for the lower court records. After receipt of the records, the matter came up for hearing before Justice Vikash Jain instead of Justice Ashwani Kumar Singh. On prayer of the counsel for convicted, Justice Vikash Jain adjourned the matter for two weeks. After two weeks,the matter was heard by Justice Gopal Prasad instead of Justice Vikash Jain and bail was granted.

When the counsel for the convicted observed that Justice Ashwani Kumar Singh is not in the mood of granting bail, the counsel managed the registry of the  High Court and get the matter transferred before Justice Vikash Jain and now Justice Vikash Jain was not in the mood of granting bail, so after taking adjournment, the counsel again managed the registry of the High Court and get the matter transferred before Justice Gopal Prasad. It is now easy to visualize that Justice Gopal Prasad would not have granted bail without being bribed.
Why Justice Vikash Jain didn’t consider before Granting adjournment how the matter came up before him without the prior transfer order of the Justice Ashwani Kumar Singh, who was already hearing the matter? Why Justice Gopal Prasad didn’t consider before taking up the matter for hearing how the matter came up before him without the prior transfer order of Justice Vikash Jain, who was previously hearing the matter?
Notice was not sent to the victim informant by the High Court to represent thorough its lawyer against the bail and appeal petition and thus absence of knowledge of filing of bail and appeal petition resulted in granting bail to the convicted by adopting the malpractices of transferring court(bench) without the prior order of the presiding Judge.
I had helped victim to get the offender punished for ten years.

फ्रॉड करके नौकरी लेने के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा

दहेज की मांग कर प्रताड़ित करने का आरोप शादी के सात वर्ष बाद लगाने का प्रावधान नहीं होना चाहिए क्योंकि
(i) IPC का धारा 304B के तहत विवाहित महिला की हत्या विवाह के सात वर्ष के भीतर किए जाने पर ही दहेज हत्या माना जाता है।
(ii) भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113A के तहत विवाह के सात वर्ष के भीतर आत्महत्या करने पर ही कोर्ट ये Presume कर सकता है कि विवाहिता ने क्रूरता के कारण आत्महत्या किया है।
जब दहेज हत्या और दहेज आत्महत्या के लिए सात वर्ष की सीमा तय है तो फिर दहेज मांगने के कारण प्रताड़ित करने का आरोप लगाने का सात वर्ष का सीमा तय क्यों नहीं है?
केवल दहेज की मांग के कारण शादी के सात वर्ष बाद भी प्रताड़ित करते रहना प्रायः संभव नहीं है।एक मित्र ने विवाह के 10 वर्ष बाद भी दहेज की मांग के कारण प्रताड़ित करने का आरोप लगाने हेतु सलाह मांगी लेकिन पति शराबी होने के कारण प्रताड़ित कर रहा है।एक अन्य मित्र ने शादी के आठ पूर्व बाद दहेज की मांग के कारण प्रताड़ित किए जाने का शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद सलाह मांगी,लेकिन बातचीत के दौरान सिध्द हो गया कि पति दूसरे महिला से नाजायज संबंध होने के कारण पत्नी को प्रताड़ित कर रहा है।



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नौकरी देने का झासा देकर ठगी करने का आरोप लगाने वाले के विरुध्द भी फ्रॉड करके नौकरी लेने के लिए दुष्प्रेरित करने का मुकदमा चलना चाहिए।आजतक नौकरी का झासा देकर ठगने का आरोप लगाने वाले के विरुध्द कभी भी दुष्प्रेरित करने का केस दर्ज नहीं किया गया।
IPC का धारा 107,108 और 109 में दुष्प्रेरण और दुष्प्रेरक का की गई व्याख्या से स्पष्ट है कि नौकरी के लिए रुपये देने वाले लोग फ्रॉड करके नौकरी दिलाने के लिए उस फ्रॉड को दुष्प्रेरित किया जिसने रुपये ठग लिया लेकिन नौकरी नहीं दिलवाई।चूँकि नौकरी देने के लिए रुपये देकर दुष्प्रेरित किया गया लेकिन नौकरी देने का अपराध कारित नहीं हो सका और ठगने का अपराध कारित हो गया।इसलिए रुपये देने वाले IPC का धारा 110 और 111 के तहत दोषी है।
एक मित्र ने एकबार नौकरी देने के नाम ठगे जाने के विरुध्द फेसबुक पर सलाह मांगा था।मैंने स्पष्ट रुप से कहा था कि यदि मैं थानाध्यक्ष होता तो आप पर भी दुष्प्ररित करने का मुकदमा कर देता।एक अन्य व्यक्ति पर नौकरी देने के नाम पर ठगने का मुकदमा चल रहा है।मैंने उन्हें कहा कि रुपये देने वाले के विरुध्द दुष्प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज कराने हेतु कोर्ट में अर्जी दे।


डीजीपी का स्पष्टीकरण

डीजीपी कार्यालय ने घूस नहीं देने और बहस करने के कारण एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले दारोगा(सहायक थाना प्रभारी जिसके नाम के साथ शिकायत की गई थी) से स्पष्टीकरण मांगने के बजाय एक अन्य मामले में निलंबित किए जाने के कारण उस दारोगा के जगह पर आए नए दारोगा(सहायक थाना प्रभारी) से स्पष्टीकरण मांग दिया है।मैंने जबरन गिरफ्तार किए व्यक्ति का जमानत पर रिहा होने के बाद उस दारोगा के विरुध्द आवेदन तैयार कर डीजीपी और मानवाधिकार आयोग को भेजवाया था लेकिन उस पद पर आए नए दारोगा से स्पष्टीकरण मांग दिया गया है।उस दारोगा ने जेल भेजने के नियत से ही IPC का धारा 307 जोड़वा दिया क्योंकि आवेदन पर सूचिका का अंगूठा का निशान के सामने और नीचे तक छोटे-छोटे अक्षरों में मिट्टी तेल छिड़ककर जलाने का प्रयास करने का आरोप लिखा है जो निशान देने के बाद जोड़ा गया है।दारोगा ने Memo of Arrest कोर्ट नहीं भेजा जिसपर गिरफ्तारी की सूचना जिस रिश्तेदार को दी जाती है उसका हस्ताक्षर समेत अन्य ब्यौरा रहता है।नए दारोगा ने फोन पर बात करने के दौरान मुझे कहा कि दारोगा के पास गिरफ्तार करने का व्यापक शक्ति है।मैंने कहा कि बगैर साक्ष्य का गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।


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शायद एक अफवाह जवाहर नवोदय विद्यालय,समस्तीपुर में फैल गयी है।रवि रंजन,चिरंजीवी राय(विद्यालय का प्राचार्य) का बेटा को मेरी शिकायत पर मेडिकल कॉलेज से निकाल दी जाने की अफवाह फैल गयी है।
मैंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग में शिकायत किया था कि NEET-UG 2013 में 18077 रैंक रहने के बावजूद एक अच्छे मेडिकल कॉलेज में नामांकन गलत तरीके से हुआ है।रवि रंजन ने CBSE से PCM में बारहवीं पास कर JEE(MAIN) का फॉर्म भरा था(हालांकि जुगाड़ नहीं बैठने के कारण टेस्ट नहीं दिया) और NIOS से PCB में बारहवीं पास कर NEET का परीक्षा दिया था।एक साथ दो बोर्ड और दो प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल कर मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों का फॉर्म भरना धोखाधड़ी है।

केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी को जांचोपरांत प्रतिवेदन समर्पित करने के लिए आदेशित किया था जिसे मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी को जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने भेज दिया था।मैंने मंत्रालय में सूचना आवेदन दायर कर कृत कार्रवाई की जानकारी मांगा है।

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फेसबुक को रिपोर्ट करने पर तीन अश्लील वीडियो को फेसबुक से हटा दिया गया लेकिन महात्मा गाँधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी से संबंधित एक पोस्ट को हटाने से फेसबुक ने मना कर दिया।
मेरे द्वारा रिपोर्ट करने पर 13 अप्रैल 2015 को फेसबुक ने एक अश्लील वीडियो को हटाया जो मेरा ग्रुप KNOW THE LAW,SAVE THE SOCIETY में अपलोड कर दिया गया था।इस पोस्ट को डिलीट करने का विकल्प नहीं आ रहा था।
एक पोस्ट में मुझे टैग की गई थी जिसे मैंने अनटैग करने के बाद रिपोर्ट किया था जिसमें महात्मा गाँधी के बारे में कहा गया था कि यदि तुम चाहते तो लाल किला पर भगवा फहरा देते,तिब्बत पर भी झंडा लहरा देते आदि।18 मई 2015 को फेसबुक ने इसे हटाने से मना कर दिया।
एक अश्लील वीडियो में मुझे टैग कर दिया गया था जिसे अनटैग करने के बाद फेसबुक को रिपोर्ट करने पर 6 जून 2015 को वीडियो को हटा दिया गया।टैग करने वाले फेसबुक मित्र के वॉल पर कुछ और अश्लील वीडियो पाया गया,जिसमें सर्वप्रथम एक वीडियो को रिपोर्ट करने के बाद उसे 9 जून को हटा दिया गया।अन्य वीडियो भी उस वॉल से गायब है।संभवतः फेसबुक ने खुद हटा दिया या उस मित्र ने और भी रिपोर्ट किए जाने के संशय से खुद हटा लिया।