PUCL-Delhi एक RTI कार्यकर्ता को बलात्कार,बलात्कार का प्रयास और ठगी जैसे फर्जी मुकदमा में फंसाए जाने के विरुध्द मदद करने आगे आई है।मेरा एक फेसबुक स्टेटस पर दिल्ली के एक सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र भारती जी ने मदद का आश्वासन दिया और इन्होंने मामले से PUCL-Delhi के अध्यक्ष व मानवाधिकार वकील एनडी पंचौली जी को अवगत कराया।PUCL-Delhi मामले को लेकर पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जाएगी और एक Fact Finding Team गठन करने का आग्रह करेगी।PUCL(People's Union For Civil Liberties) मानवाधिकार और नागरिक अधिकार के क्षेत्र में काम करने वाली एक अग्रणी भारतीय संस्था है जिनके जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने EVM में NOTA बटन शामिल करने का आदेश दिया।बिहार बोर्ड के परीक्षा में होने वाली फर्जीवाड़ा का खुलासा करने के कारण माधवेन्द्र झा (यूभीके कॉलेज,मधेपुरा का प्राचार्य जिसके विरुध्द बिहार बोर्ड के साथ मिलीभगत करके गड़बड़ी करने का खुलासा हुआ ) द्वारा नागेश्वर झा को बलात्कार,बलात्कार का प्रयास,ठगी जैसे कई फर्जी आरोप में फंसा दिया गया है जिसका समीक्षा करके मैंने उसे झूठा सिध्द किया है।
उनके द्वारा भेजी गई कुछ और दस्तावेज ईमेल से प्राप्त हुई है,जिसकी संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है:
1.गम्हरिया थाना कांड संख्या 68/10 में नागेश्वर झा ने अभियुक्त अरुण यादव व अन्य पर रंगदारी मांगने,जान से मारने की धमकी देने आदि का आरोप लगाया।SDPO मधेपुरा अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में आरोप को असत्य करार देते हुए नागेश्वर झा के विरुध्द IPC का धारा 182 और 211 के तहत झूठे मुकदमा में फंसाने के जुर्म में मुकदमा चलाने का अभियोजन प्रस्ताव न्यायालय में समर्पित करने का आदेश दिया,जिसकी स्वीकृति SP मधेपुरा ने भी दे दी।DIG सहरसा रेंज और IG दरभंगा प्रक्षेत्र अपने अपने समीक्षा टिप्पणी में नागेश्वर झा के द्वारा लगाए गए आरोप को सत्य बताते हुए उनके विरुध्द धारा 182 और 211 के तहत दायर किए अभियोजन प्रस्ताव को खारिज कर दिया और थानाध्यक्ष के विरुध्द निलंबन का आदेश जारी किया और SDPO से विभागीय कार्यवाही हेतु स्पष्टीकरण मांगा गया।DIG और IG ने SDPO से विभागीय कार्यवाही हेतु मांगे गए स्पष्टीकरण में इस बिन्दु की ओर ध्यान नहीं दिया कि SDPO ने धारा 211 के तहत भी अभियोजन प्रस्ताव समर्पित करने का आदेश दिया है लेकिन CrPC का धारा 195 के तहत पुलिस अधिकारी सिर्फ धारा 182 के तहत मुकदमा चलाने का प्रस्ताव दे सकते हैं।CrPC का धारा 195 में स्पष्ट लिखा है कि IPC का धारा 211 के तहत मुकदमा उस अवस्था में चलेगी जब कोर्ट में झूठा बयान दिया जाता है।
2.मधेपुरा CJM के कोर्ट में दायर की गई Complaint Case No.1046/2013 में माधवेन्द्र झा की पत्नी सुनीता झा ने नागेश्वर झा के विरुध्द अकहनीय शब्द बोलने का आरोप लगाया है।लेकिन जो भी अकहनीय शब्द हो,उसे कोर्ट में बताना पड़ता है जो कि नहीं बताया गया है।चार गवाह का नाम दिया गया है,लेकिन ये किस तथ्य का गवाह हैं,इसका उल्लेख नहीं किया गया है।इनमें दो गवाह अरविंद कुमार और रविशंकर नागेश्वर झा पर लगाए गए बलात्कार के आरोप का भी गवाह हैँ जिससे ये गवाह खरीदा हुआ प्रतीत होते हैं।मुकदमा सुनीता झा के विरुध्द कथित अकहनीय शब्द बोलने के लिए दायर की गई है लेकिन पूरा आवेदन माधवेन्द्र झा के विरुध्द नागेश्वर झा द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप को झूठा बताने पर केन्द्रित है।प्रार्थना में भी ये लिखा गया है कि माधवेन्द्र झा के विरुध्द लगाए गए आरोप की पुर्नजांच CrPC का धारा 173(8) के तहत पुलिस अधीक्षक से करवायी जाए और आरोप को गलत साबित कर नागेश्वर झा के विरुध्द झूठा फंसाने के लिए IPC का धारा 211 के तहत कार्रवाई किया जाए।लेकिन सुनीता झा के साथ की गई कथित अकहनीय शब्द का प्रयोग करने के लिए कौन -सा कार्रवाई किया जाए,इसका उल्लेख नहीं किया गया है।जब सुनीता झा के साथ वास्तव में दुर्व्यव्हार किया गया होता तो कार्रवाई की भी मांग की गई होती।अतः स्पष्ट है कि कथित अकहनीय शब्द के प्रयोग का आरोप असत्य है।
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