कोर्स के बाहर का पूछा गया प्रश्न,फिर होगी 6 सितंबर को परीक्षा
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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा के दर्शनशास्त्र स्नातक प्रथम खंड के प्रथम पत्र का दिनांक 12/8/2014 को परीक्षा हुई,जिसमें Hons Paper-I के जगह Subsidiary Paper से प्रश्न पूछा गया।Hons Paper-I के कोर्स के मुताबिक भारतीय दर्शन के बारे में पढ़ना है जबकि Subsidiary Paper में Symbolic Logic के बारे में पढ़ना होता है ,जिससे प्रश्न पूछा गया,इसलिए Hons Paper के छात्र पास करने लायक सवाल का जवाब भी नहीं दे पाए।दिनांक 12/8/2014 को ही दर्शनशास्त्र के दो छात्र (कुणाल वैभव जी और अरबाज आलम जी) के साथ मैं विश्वविद्यालय के कुलपति से मिला ।कुलपति ने विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष को बुलाया।कुलपति ने फिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया है।आज के समाचार पत्र के अनुसार कल परीक्षा बोर्ड की बैठक में 6 सितंबर को पुनः परीक्षा लेने का फैसला हुआ।दर्शनशास्त्र विभाग ने प्रश्नपत्र का चेकिंग किए बगैर सारे कॉलेज को प्रश्नपत्र भेजवा दिया।जब प्रश्नपत्र की चेकिंग भी नहीं की जाती,फिर उत्तर-पुस्तिका की सही तरीके से चेकिंग के बारे में सोचना भी मूर्खता है।
दिनांक 13 अगस्त 2014 को समाचार पत्र में
छपी खबर के मुताबिक '' परीक्षार्थियों ने विश्वविद्यालय के परीक्षा
नियंत्रक के पास इसके संबंध में शिकायत की है।परीक्षा नियंत्रक ने छात्रों
से शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा है कि समस्या पर गंभारता से विचार
किया जा रहा है।''
जबकि खबर के विपरीत सच्चाई ये है कि हम सीधे कुलपति के पास चले गए जिसका
प्रमाण कुलपति कार्यालय द्वारा आवेदन के छायाप्रति पर दिया गया हस्ताक्षर
है और कुलपति ने पुनः परीक्षा लेने का मौखिक आदेश मेरे सामने में
दर्शनशास्त्र के विभागाध्यक्ष को दिया था।इसलिए परीक्षा बोर्ड की बैठक में
सिर्फ औपचारिक निर्णय लेना बाकी था।
परीक्षा नियंत्रक के द्वारा गलत खबर मीडिया में छपवायी गई और कुलपति के पास
शिकायत किए जाने और कुलपति द्वारा पुनः परीक्षा लेने का आदेश देने के बारे
में परीक्षा नियंत्रक ने मीडिया को नहीं बताया ताकि परीक्षा नियंत्रण
विभाग और दर्शनशास्त्र विभाग इस बदनामी से बच सके कि उनके विरुध्द कुलपति
के पास शिकायत कर दी गई।
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