Thursday 17 July 2014

मधुबनी SP,DSP और संबंधित थानाध्यक्ष के विरुध्द कार्रवाई हो।

1.मधुबनी SP,DSP और संबंधित थानाध्यक्ष के विरुध्द कार्रवाई हो।

बिहार मानवाधिकार आयोग ने मुन्ना कुमार,एक नाबालिग के विरुध्द बालिग की तरह मुकदमा चलाए जाने पर मेरे द्वारा दायर करवायी गई याचिका पर मधुबनी SP से जवाब मांगा था,जिसे SP ने आयोग को भेज दिया है और आयोग ने SP के जवाब के आलोक में आवेदक को 15 अगस्त 2014 तक अपना जवाब भेजने कहा है।आयोग के आदेश के बाद मधुबनी DSP ने मामले का जांच किया,जिस रिपोर्ट को अनुमोदित करके SP ने आयोग को भेजा है।इस रिपोर्ट में ये स्वीकार की गई है कि मुन्ना कुमार नाबालिग है लेकिन थानाध्यक्ष को बचाने के लिए ये कहा गया है कि अभियुक्त को अपने बचाव में प्रतिरक्षण बयान देने के लिए बुलाया गया लेकिन अभियुक्त उपस्थित नहीं हुए।मतलब,मुन्ना कुमार को सबूत रखने बुलाया गया था जिसमें वह खुद को नाबालिग सिध्द कर सकता था।लेकिन खुद पुलिस के केस डायरी में ये नहीं लिखा है कि अभियुक्त को प्रतिरक्षण बयान देने के लिए बुलाया गया या पुलिस अभियुक्त के घर पर उसका प्रतिरक्षण बयान लेने गई थी,लेकिन वह नहीं मिला।मतलब पुलिस अपने बचाव में अब ये झूठा तर्क दे रही है कि उसने प्रतिरक्षण बयान देने के लिए अभियुक्त को बुलाया था।



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2.केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के Vigilance Section से एक पत्र प्राप्त हुई है जिसमें बताया गया है कि मेरा शिकायत को मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी अमित खरे द्वारा पीके मितल,निदेशक(UT-III) और उप सचिव,माध्यामिक शिक्षा को भेजा गया है।आश्चर्य की बात ये है कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी को जांच करके आयोग को जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया है,लेकिन मुख्य सतर्कता अधिकारी ने खुद जांच ना करके अपने अधीनस्थ अधिकारी (पीके मितल) को जांच करने का जिम्मा दे दिया।पीके मितल Vigilance section का अधिकारी भी नहीं हैं,इसलिए उन्हें जांच करने देना चिरंजीवी राय को बचाने का साजिश मात्र है।मैंने अमित खरे को ईमेल करके सूचित किया है कि वह खुद जांच करे और सतर्कता आयोग को भी सूचित किया है कि पीके मितल को जांच का जिम्मा दे दिया गया है,जो Vigilance section का अधिकारी भी नहीं है।इसलिए CBI से जांच करायी जाए।इधर एक जुलाई को चिरंजीवी राय दिल्ली संभवतः इस मामले को मैनेज करने गया था और वह मैनेज कर भी लिया होगा।अब अगली पत्र जो आएगी उसमें बगैर साक्ष्य ये लिखा होगा कि उसके दोनों बेटा का कोई Fraudulent Admission नहीं हुई है।

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3.किशोर न्याय के क्षेत्र में श्री अरविंद पांडे,पुलिस महानिरीक्षक,कमजोर वर्ग,CID Bihar का प्रयास काफी उल्लेखनीय है।आप Juvenile Justice Act,2000 का पालन करवाने वाले मेरी जानकारी के मुताबिक एक मात्र पुलिस अधिकारी हैं।इस कानून की धारा 63 में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन करने के बारे में कहा है और आप इस दिशा में यूनीसेफ के सहयोग से प्रयासरत हैं।मेरी जानकारी के मुताबिक आधा से भी ज्यादा नाबालिग पर बालिग की तरह मुकदमा चल रहा है,जिसमें मैंने दो मामला को बिहार मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाया है और दोनों में संबंधित SP से जवाब मांगा गया है।एक मामले में मधुबनी SP ने जवाब भेज दिया है और हमें इनके जवाब के आलोक में 15 अगस्त तक जवाब भेजना है।इस रिपोर्ट में ये स्वीकार की गई है कि अभियुक्त नाबालिग है लेकिन थानाध्यक्ष को बचाने के लिए ये कहा गया है कि अभियुक्त को अपने बचाव में प्रतिरक्षण बयान देने के लिए बुलाया गया लेकिन अभियुक्त उपस्थित नहीं हुए।लेकिन खुद पुलिस के केस डायरी में ये नहीं लिखा है कि अभियुक्त को प्रतिरक्षण बयान देने के लिए बुलाया गया या पुलिस अभियुक्त के घर पर उसका प्रतिरक्षण बयान लेने गई थी,लेकिन वह नहीं मिला।
दूसरे मामले में मुजफ्फरपुर SSP के जवाब का इंतजार है।

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4.108वीं संवैधानिक संशोधन विधेयक (महिला आरक्षण विधेयक) में राज्यसभा और विधान परिषद में भी महिला के लिए एक-तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया गया है।इस विधेयक की धारा 2 के तहत संविधान के अनुच्छेद 80(2) में संशोधन करके राज्यसभा के नियुक्त सदस्य और अनुच्छेद 80(3) में संशोधन करके राष्ट्रपति द्वारा मनोनित सदस्य के लिए एक-तिहाई महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है।विधेयक के धारा 3 के तहत संविधान के अनुच्छेद 171(3) में संशोधन करके विभिन्न माध्यमों(कुल विधान परिषद सीट का 1/3 स्थानीय निकाय सदस्य ,1/3 विधायक,1/12 ग्रेजुएट और 1/12 तीन साल से ज्यादा नौकरी करने वाले माध्यामिक या इससे उच्च शिक्षक) से नियुक्त विधान परिषद सदस्य और अनुच्छेद 171(5) में संशोधन करके राज्यपाल द्वारा मनोनित शेष विधान परिषद सदस्य के लिए एक-तिहाई महिला आरक्षण का प्रावधान किया गया है।हालांकि अनुच्छेद 80(2) के संशोधन में ये त्रुटि है कि संशोधन करके इस शब्द को जोड़ा गया है कि अनुसूची 4 के तहत हरेक राज्य/UT के लिए आवंटित सीट में महिला आरक्षित सीट भी सम्मिलित होगी लेकिन इसका प्रावधान नहीं किया गया है कि कितना प्रतिशत महिला आरक्षित सीट सम्मिलित होगी।

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