Monday, 12 May 2014

अपराध के मामले मेँ दो तरह के मनोरोगी हैँ


अपराध के मामले मेँ दो तरह के मनोरोगी हैँ-

1.जो अपराध करते हैँ।
2.जो दूसरे को झूठा फंसाते हैँ।
दूसरे तरह का मनोरोगी ज्यादा गंभीर है,इसलिए इनका पहले और ज्यादा कानूनी उपचार होना चाहिए।आज पुलिस,कोर्ट,समाज,निर्दोष आदमी,विरोध करने वाला आदमी दूसरे तरह के मनोरोगी के कारण सबसे ज्यादा परेशान हैँ।यदि दूसरे तरह का मनोरोगी का ईलाज हो जाएगा तो पहले वाला मनोरोगी का स्वतः ईलाज हो जाएगा।
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महिला के साथ गैर-मर्द के द्वारा नियोग करवाना काफी गलत था जो महाभारत और रामायण मेँ हुआ है।एक पुरुष बच्चा नहीँ होने के कारण कई शादी कर सकता है,अपनी पत्नी का दूसरे पुरुष के साथ नियोग करवा सकता है,लेकिन वह पत्नी उस पति को छोड़कर दूसरे से शादी नहीँ कर सकती।ये चरम पुरुषवादी मानसिकता है।संतानहीन विधवा महिला को कई दूसरे पुरुष के साथ नियोग करने के लिए बाध्य किया गया,लेकिन वह विधवा महिला दूसरी शादी नहीँ कर सकती थी।विधवा महिला के साथ धर्मग्रन्थोँ के द्वारा चार पुरुष तक को नियोग करने की छूट दे दी गई और 11 बच्चे की उत्पति तक नियोग करवाने के लिए विधवा को कहा गया।और चार क्या,कई सारे पुरुष विधवा के साथ नियोग और संतानोत्पति के नाम पर संभोग करते थे।जब विधवा ने इस दमन का विरोध किया तो अय्याशी पुरुषोँ ने सती का कहानी गढ़कर विधवा को पति के शव के साथ जलाना शुरु कर दिया क्योँकि विधवा पति के मरने के बाद उन पुरुषोँ के हवश का शिकार नहीँ बनना चाहती थी।इस प्रकार नियोग-प्रथा के विरोध के प्रतिक्रिया स्वरुप पुरुषोँ ने सती प्रथा को जन्म दिया था।

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राजा दशरथ के चार पुत्र श्रृंगी ऋषि द्वारा करवाया यज्ञ का परिणाम था या उनके तीन पत्नियोँ के साथ किसी के द्वारा किए गए नियोग का।यज्ञ से सिर्फ मानसिक शक्ति और शांति मिल सकती है,बच्चा उत्पन्न करने वाली कोई जैविक और प्राकृतिक शक्ति नहीँ।महाभारत मेँ वेदव्यास ने अम्बा और अम्बालिका के साथ नियोग किया था।महाभारत मेँ लिखा भी है लेकिन रामायण मेँ यज्ञ वाला कहानी गढ़कर इसे छिपाया गया है।यदि ऐसी बात थी तो वेदव्यास को भी यज्ञ करके,अग्निदेव से यज्ञ का प्रसाद लेकर,दोनोँ स्त्रियोँ को खिलाकर ही अम्बा और अम्बालिका के गर्भ मेँ बच्चा पहुँचा देना चाहिए था।हनुमान को लेकर विरोधाभासी कहानी है।हनुमान को शिव का पुत्र भी बताया गया है जो शिव का एक बंदरिया के साथ नियोग के कारण उत्पन्न हुआ और हनुमान को अंजनी का पुत्र भी बताया गया है।अंजनी द्वारा यज्ञ का खीर खाने से हनुमान उत्पन्न नहीँ हो सकता या शिव के द्वारा बंदरिया के साथ नियोग करने से हनुमान उत्पन्न नहीँ हो सकता।वैसे अंजनी महिला थी,फिर उनसे वानर कैसे उत्पन्न हुआ?ये सब सिर्फ मनगढ़ंत कहानियाँ हैँ,जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीँ है।धार्मिक अंधापन के बजाय अपने सोच को स्वतंत्र रखना चाहिएI

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Infancy is the stage of being free from humanitarian chaos and survive only with the interaction with whole nature and universe.An infant child doesn't know anything besides being interacted with nature but he starts to create a circumstance to go through the humanitarian surroundings.When he starts to do so,he is now no more infant.I am trying to get the stage of infancy where i should be able to keep myself free from any humanitarian aspects ,besides being interacted with whole nature and universe.I have researched on human and its activities very deeply and seriously passing sleepless night,without eating food etc and found that it is the greatest prevention to format the humanitarian chaos settled in my mind and to opt the nature as its cure.

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