भारतीय जनता पार्टी की यदि सरकार बनी तो 2019 तक पार्टी अवसान के कगार पर पहुँच चुकी होगी क्योँकि मोदी के सिवाय इस पार्टी मेँ कोई बचा ही नहीँ है।मीडिया द्वारा मोदी के पक्ष मेँ बनाया गया बनावटी लहर समाप्त होने मेँ पाँच वर्ष का समय पर्याप्त है।मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद मीडिया पर परोक्ष रुप से सेँसरशीप लगाएंगे।मीडिया केन्द्र सरकार की नीतियोँ का आलोचना करने के लिए स्वतंत्र नहीँ रहेगी,इसलिए मीडिया इसके प्रतिक्रिया स्वरुप नमो नमो करना छोड़ देगी।अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार ने भी कई सारा काम किया था लेकिन गुजरात दंगा जैसे कुछ मुद्दे के कारण सोनिया गाँधी ने अकेले अपने बल पर भाजपा को हरा दिया था जबकि उस समय भाजपा मेँ कई बड़े नेता थे और पार्टी पर कोई एक व्यक्ति और उसके पीछे RSS इतना हावी नहीँ था।सोनिया गाँधी से ज्यादा समर्थन 2019 आते आते राहुल गाँधी को मिलेगा और संभवतः प्रियंका गाँधी भी राजनीति मेँ सक्रिय हो चुकी होगी।आम आदमी पार्टी का स्थिति भी काफी मजबूत हो चुका होगा।मोदी का बनावटी लहर समाप्त होने के बाद भाजपा मेँ नेतृत्व करने वाला कोई दूसरा बड़ा नेता नहीँ बचेगा,इसलिए भाजपा अवसान के कगार पर पहुँच चुकी होगी।
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