Wednesday, 1 March 2017

ग्राम स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र की एक अवधारणा

ग्राम स्तर पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र की एक अवधारणा
73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1992 द्वारा संविधान में भाग-IX और ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ा गया है,जो पंचायती राज से सम्बंधित है।लेकिन संविधान में ऐसा एक भी प्रावधान नहीं दिखता है जो ग्रामीण विकास हेतु प्रत्यक्ष जन भागीदारी को प्रोत्साहित करे।भले ही ग्राम सभा का प्रावधान अनुच्छेद 243A में किया गया है लेकिन ग्राम सभा की बैठक पंचायत स्तर पर चयनित जन प्रतिनिधियों के द्वारा बुलाने पर होती है,अन्यथा नहीं।
आम जनता के समूहों द्वारा लोगों से हस्ताक्षर करवाकर जन प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को जनयाचिका देने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प हमारे पास नहीं होता।इस जनयाचिका पर कार्रवाई करने के लिए वे बाध्य नहीं होते।
ग्राम सभा से इतर आम जनता के समूहों को भी संविधान के तहत ये शक्ति मिलना चाहिए कि ये समूह अपने स्तर से भी बैठक कर योजना तैयार कर प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और इस प्रस्ताव के अनुरूप जन प्रतिनिधि, अधिकारी और सरकार, उपलब्ध साधनों के अधीन,अग्रतर कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।बाध्यता का मतलब ये भी है कि प्रस्ताव के आलोक में कार्रवाई नहीं करने पर,जिनके समक्ष प्रस्ताव समर्पित की गयी थी,उनके विरुद्ध वरीय प्राधिकारियों के समक्ष प्रथम और द्वितीय अपील दायर करने का प्रावधान होगा और ये अपीलीय प्राधिकारी कार्रवाई नहीं करने वाले के विरुद्ध शास्ति (पेनल्टी) लगा सकते हैं।
भले ही ऐसा कोई संवैधानिक और विधिक प्रावधान नहीं है,लेकिन ग्राम स्तर पर तो कम से कम प्रत्यक्ष लोकतंत्र के स्वरूप जैसा प्रत्यक्ष जन भागीदारी तो होना ही चाहिए।अतः हम लोगों से हस्ताक्षर कराकर जनयाचिका दायर ना करे,बल्कि बैठक के जरिये योजना तैयार करे और प्रस्ताव पारित करे और प्रस्ताव को सम्बंधित प्राधिकारी को एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर कार्रवाई करने के लिए कहते हुए समर्पित करे।
प्रस्ताव के अनुरूप निर्धारित समय-सीमा में कार्रवाई नहीं होने पर सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 का प्रयोग कर जवाब मांगे।
हम याचना,निवेदन क्यों करे?योजना तैयार कर प्रस्ताव पारित कर दवाब क्यों ना बनाए और कार्य करने के लिये बाध्य क्यों ना करे?
प्रथम और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी भी भ्रष्ट होंगे और अपील करने के बाद भी कार्रवाई नहीं करेंगे।कोई भी सरकारी उपाय उन्हें कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं कर पायेगी।यदि प्रस्ताव पारित कराने की प्रक्रिया में जन भागीदारी बढ़ती है,तभी ये लोग कार्रवाई करेंगे।सरकारी स्तर पर किया गया कोई भी प्रयास बदलाव नहीं ला सकता है।जन स्तर पर किया गया प्रयास ही बदलाव ला सकता है।
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Nagendra Kumar Niralla · Friends with Arbaz Alam
Good..
Shashank Rai · 13 mutual friends
प्रणाम भैया, उत्कृष्ट सुझाव ! जनता की शक्ति जनता के हाथ में होनी ही चाहिए। Rakesh RaiRakesh Rai
Rabish Raj Verey good bhai
Arbaz Alam 243क. ग्राम सभा-- ग्राम सभा, ग्राम स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का पालन कर सकेगी, जो किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, उपबंधित किए जाएँ।
Arbaz Alam always your welcome, my marvelous sweet heart

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