Wednesday, 1 March 2017

PINK MOVIE:LEGAL FAULTS WITHIN

PINK MOVIE:LEGAL FAULTS WITHIN
Pink फिल्म में मामूली कानूनी पहलूओं पर भी चार चूक पाया हूँ।फिल्मों में मामूली कानूनी मामले पर भी चूक करना आम बात है।जब फिल्म से सम्बंधित कोई विवाद कोर्ट पहुँच जाये तो बड़े वकील को पैरवी के लिए रखते हैं लेकिन फिल्म के जरिये जनता को गलत जानकारी ना मिले,इससे बचने के लिए कानूनी पहलूओं पर मामूली वकील से भी संपर्क नहीं करते।
चूक देखिये-
i.Section 320 IPC to be read with Section 324 for causing grievous hurt-धारा 324 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा साधारण उपहति (क्षति) कारित करने के विरुद्ध दंड से सम्बंधित है और धारा 320 घोर उपहति (क्षति) i.e.Grievous hurt को परिभाषित करती है।धारा 319 साधारण उपहति को परिभाषित करती है।वैसे,साधारण उपहति को केवल उपहति i.e. hurt ही कहा गया है।धारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा घोर उपहति (क्षति) कारित करने के विरुद्ध दंड से सम्बंधित है।
इसलिए,कानून के मुताबिक Section 319 to be read with section 324 for causing hurt अथवा Section 320 to be read with section 326 for causing grievous hurt होना चाहिए,ना कि Section 320 IPC to be read with Section 324 for causing grievous hurt.
ii.Section 340 IPC for wrongful confinement-धारा 340 में सिर्फ wrongful confinement का परिभाषा दिया गया है जबकि धारा 342 में wrongful confinement के विरुद्ध दंड का प्रावधान किया गया है।इसलिए,section 340 to be read with section 342 for wrongful confinement,ना कि section 340 for wrongful confinement.
iii.Convicts u/s 340 for wrongfully confining in the car,thereby molesting-फिल्म में अंकित मल्होत्रा,रौशन आनंद और उसके दो अन्य साथियों को धारा 340 के तहत wrongful confinement और molestation दोनों के लिए आरोपित और दोषी करार किया गया है।molestation के लिए अलग धारा है और धारा 340 (वस्तुतः धारा 342 के तहत सजा देना है) के तहत सिर्फ wrongful confinement के लिए सजा दिया जा सकता है।यदि molestation से अभिप्रेत छेड़खानी है तो धारा 354 या फिल्म में दिखाये गये एक से ज्यादा लड़के की संलिप्तता के अनुसार बलात्संग अथवा बलात्संग का प्रयास है तो धारा 376D.
इन लड़कों के द्वारा लड़की को उठाकर जबरदस्ती कार में बैठाया जाता है।इसलिए अपहरण का भी मामला बनेगा।अतः धारा 362/365/368 के तहत भी आरोपित और दोषी करार किया जाना चाहिए।
iv.धारा 307 यानि Attempt to murder का गवाह भी है,evidence भी है-फिल्म की मुख्य नायिका के विरुद्ध जज ने कहा है कि उसके विरुद्ध धारा 307 का गवाह भी है,evidence भी है,लेकिन grave provocation के कारण की गयी कृत्य होने के फलस्वरूप बरी किया जाता है।बोतल से आँख में मारना धारा 307 के तहत आता ही नहीं है।जख्म की प्रकृति के अनुसार धारा 324 या धारा 326 के तहत आयेगा।लेकिन जज ने कहा है कि धारा 324 का solid evidence नहीं है।वस्तुतः धारा 307 का solid evidence नहीं है और धारा 324 या धारा 326,जख्म की प्रकृति के अनुसार जो भी लगे,उसमें बरी करना चाहिए और लड़के द्वारा grave peovocation देने के आधार पर नहीं,बल्कि लड़की के आत्म-रक्षा का अधिकार (Right to self-defence) के आधार पर।
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Om Saini अति उपयोगी जानकारी

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