Wednesday, 1 March 2017

ग्रामीण विकास और सूचना का अधिकार

I am highly indebted to one Reotipur Development Authority,an organization working for rural development in Reotipur village of Mohammadabad block of Ghazipur,Uttarpradesh.On its Second Annual day on dated 27/10/2016 this Organization nominated me as a Chief Guest to post on its facebook group (having more than 4,100 members) on Importance of Right to Information Act,2005 in rural development.Young enthusiastic persons are associated with this organization like Mr Vinay Kumar Srivastava who is a software engineer in WIPRO,Mr Shyam Narayan Singh Yadav,an IITian and so on.
Status posted by me is cited below-
ग्रामीण विकास और सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 में कुछ ऐसे प्रावधान हैं,जो प्रत्यक्ष जन भागीदारी को बढ़ाकर ग्रामीण विकास और भ्रष्टाचार निवारण में काफी मददगार हो सकती है।
ये प्रावधान हैं-
(i) धारा 2(j)(i) यानि कार्यों, दस्तावेजों और अभिलेखों को निरीक्षण करने का अधिकार
(ii) धारा 2(j)(iii) यानि सामग्री के प्रमाणित नमूने(सैंपल) लेने का अधिकार।
उपरोक्त दोनों प्रावधानों पर चर्चा करने से पहले इस कानून के कुछ अन्य सामान्य प्रावधानों का चर्चा करते हैं।
इस अधिनियम की धारा 6(1) में ये भी प्रावधान है कि जो लोग शिक्षित नहीं है,वे मौखिक सूचना लोक सूचना अधिकारी को देंगे,जिसे अधिकारी लिखित में दर्ज करेंगे।इसके अतिरिक्त साधारण आवेदन अथवा फॉर्म में सवाल लिखकर सूचना मांगा जा सकता है।धारा 6(2) के तहत सूचना लेने का कारण बताना जरुरी नहीं है।धारा 7(1) के तहत 30 दिनों के भीतर सूचना देना है।30 दिनों के भीतर सूचना नहीं देने या सूचना से संतुष्ट नहीं होने के विरुद्ध अगले तीस दिन के भीतर धारा 19(1) के तहत वरीय अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील दायर किया जा सकता है।प्रथम अपील पर 45 दिनों के भीतर सुनवाई नहीं होने या सुनवाई से संतुष्ट नहीं होने के विरुद्ध अगले 90 दिनों के भीतर धारा 19(3) के तहत सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर किया जा सकता है।धारा 18(1) के तहत लोक सूचना पदाधिकारी के विरुद्ध सूचना आयोग में सीधे शिकायत भी किया जा सकता है,मतलब प्रथम और द्वितीय अपील किये बगैर।केंद्र सरकार का विभाग होने पर केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सरकार का विभाग होने पर राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील और शिकायत की जायेगी।
अब सवाल है कि कार्यों,दस्तावेजों और अभिलेखों के निरीक्षण और लोक प्राधिकारी द्वारा संचालित निर्माण योजनाओं में प्रयुक्त सामग्री के सैंपल प्राप्त करने के अधिकार का प्रयोग कब और कैसे करे।हमारा सूचना आवेदन प्रायः प्रश्न पूछने और दस्तावेज मांगने तक ही सीमित रहता है।जब किसी योजना के तहत कार्य हो रहा है और यह प्रतीत होता है कि निर्माण घटिया किस्म की हो रही है या हो ही नहीं रही या योजना के तहत जितना कार्य किया जाना था उतना किया नहीं जा रहा है या नहीं किया गया है,तब सूचना आवेदन से प्रश्न पूछने और दस्तावेज मांगने के साथ साथ कार्यों,दस्तावेजों और अभिलेखों का निरीक्षण करने देने और प्रयुक्त सामग्री का सैंपल देने का भी जिक्र उस आवेदन में करे।
निरीक्षण का अधिकार अपने आप में शक्ति है क्योंकि जिस तरह से अधिकारी निरीक्षण करता है,उसी तरह से आवेदक निरीक्षण करेगा।आवेदक सम्बंधित पदाधिकारी से आमने-सामने सवाल-जवाब करेगा।निरीक्षण के दौरान सामने में सामग्री का सैंपल लिया जाना चाहिए।यदि बाद में सैंपल भेजने के बारे में कहा जाता है तो सामने में देने कहे क्योंकि बाद में सैंपल बदल कर दे सकता है।उस सैंपल की हम अपने स्तर से जाँच करवा सकते हैं और घटिया पाये जाने पर भ्रष्टाचार का शिकायत कर सकते हैं।सिर्फ सवाल पूछने और दस्तावेज मांगने से कई बार शिकायत करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल पाता और ना ही दवाब बन पाता है।पर्याप्त साक्ष्य प्राप्त करने और दवाब बनाकर सही से काम करवाने के लिए इतना सबकुछ करना जरुरी है।
शुल्क
उत्तरप्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली,2015 के नियम 5 में शुल्क का प्रावधान किया गया है जो राज्य सरकार के विभाग के लिए लागू होगी।
शुल्क पोस्टल आर्डर,चेक,ड्राफ्ट अथवा नकद में अदा किया जा सकता है।आवेदन शुल्क 10 रूपये है।मांगी गयी दस्तावेज (A-4 व A-3 साइज वाली) के लिए 2 रूपये प्रति पेज है।सैंपल के लिए सैंपल का वास्तविक लागत देय होगा।निरीक्षण के लिए पहले घंटे का दस रूपये और फिर प्रत्येक 15 मिनट का 5 रूपये देय होगा।
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5 comments
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Amit Dayal Bahut Khush hun ye dekh kar ki aap mere Ghazipur chetra k liye kitna kaam kar rahe hain.
Rahul Kumar Thank you bhaiya..
Rahul Kumar #NitishChandra-That's not right.No one is big,no one is small.Considering my various RTI Applications on my many previous posts and legal understanding on RTI,they simply nominated me.On the similar ground,i was invited as a Speaker in Hindu College,Delhi in a Seminar organized by NSS of the College to speak on Challenges Related to RTI Act,2005.
Indra Chaudhary Great article Rahul Ji.
Om Saini राहुल जी, लगभग तीन साल होने वाले है जन सूचना अधिकारी ने आज तक निरीक्षण करने के लिए दिए गए आवेदन का जबाब नहीं दिया और न ही प्रथम अपील अधिकारी न ही राज्य सूचना आयोग ने भी अभी तक जन सूचना अधिकारी पर कार्यवाही किया है बस वहा भी तारीख पर तारीख का ही खेल चल रहा है। जब तक प्रशासनिक जिमेदारी कठोरता से तय करते हुए शसक्त निगरानी प्रणाली नहीं अपनाई जायेगी तब तक प्रशासनिक अधिकारी एवं सरकारे इसी प्रकार आम जन लोगो का शोषण करते हुए भ्र्ष्टाचार एवं भ्रष्टाचारियो को पोषित करते रहेंगें।
Rahul Kumar #OmSainiJi-मैं आपकी विचारों से सहमत हूँ।राज्य सूचना आयोग तक महाभ्रष्ट है।मैंने निरीक्षण करने और सैंपल लेने के अधिकार के बारे में बताया है।इस अधिकार का शायद ही क्रियान्वयन हो रहा है।ये क्रियान्वयन तब होगा जब कुछ ज्यादा लोग इसके लिए आवेदन देने लगेंगे।अभी...See more
Om Saini हम लोगो को इस अधिकार के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित एवं सहायता उपलब्ध कर रहे है।
Rahul Kumar बहुत बढ़िया।
Rahul Kumar #OmSainiJi-मैं आपकी विचारों से सहमत हूँ।राज्य सूचना आयोग तक महाभ्रष्ट है।मैंने निरीक्षण करने और सैंपल लेने के अधिकार के बारे में बताया है।इस अधिकार का शायद ही क्रियान्वयन हो रहा है।ये क्रियान्वयन तब होगा जब कुछ ज्यादा लोग इसके लिए आवेदन देने लगेंगे।अभी निरीक्षण और सैंपल के लिए आवेदन देने वाले 0.1 % से ज्यादा लोग नहीं होंगे।बाद बाकी लोग सिर्फ प्रश्न का जवाब और दस्तावेज के लिए ही आवेदन दे रहे हैं।मेरे द्वारा इसलिए लिखा गया है ताकि लोग निरीक्षण और नमूने लेने के अधिकार का प्रयोग करे।प्रशासनिक जिम्मेदारी तय करना और निगरानी प्रणाली विकसित करना,ये कार्य भी तो सरकार और अधिकारी लोग ही करते हैं।इसलिए इस सब से कुछ नहीं होगा।लोगों की भागीदारी ऐसे अधिकारों का प्रयोग करने में बढे,यही सुधार के लिए काफी है।

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