Saturday 10 January 2015

Abolish section 353 of the IPC

IPC का धारा 353 अंग्रेज के जमाने में बनाया गया सबसे बर्बरतम कानून में एक है लेकिन आजादी के बाद भी ये धारा बरकरार है।इस धारा के तहत लगाए जाने वाले आरोप को लोगों द्वारा सामान्य भाषा में सरकारी कामकाज में बाधा डालना कहा जाता है जिसमें किसी लोक सेवक के विरुध्द जब वह सरकारी काम कर रहा हो तो आपराधिक बल प्रयोग करने पर 2 साल की सजा का प्रावधान है और धारा गैर-जमानतीय है।
जब आप किसी लोक सेवक का विरोध करे तो वह आपको आसानी से इस आरोप में फंसा सकता है।मतलब ये धारा अंग्रेज ने इसलिए बनाया था ताकि भारतीय ब्रिटिश शासन-तंत्र के किसी कर्मचारी/अधिकारी का फंसाने के डर से विरोध ना करे।आजादी के बाद भी इस धारा को इसलिए बरकरार रखा गया ताकि आम आदमी द्वारा लोक सेवक के भ्रष्टाचार का विरोध करने पर उसे इस धारा के तहत फंसाया जा सके।
जब लोक सेवक कार्यालय में बैठकर टाइम पास करता है,लापरवाही करता है तो सरकारी कामकाज को सबसे ज्यादा बाधा पहुँचती है लेकिन इसके लिए कोई धारा नहीं है।माना कि आपराधिक बल का प्रयोग किया गया जिसके कारण दो घंटे काम में बाधा पहुँची लेकिन एक सरकारी कर्मी तो टाइम पास करके औसतन रोज 2-3 घंटे काम में बाधा डालता होगा।

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