जिला अभिलेखागार, दरभंगा से चिरकुट दाखिल कर कोई न्यायिक या जमीन संबंधित दस्तावेज की छायाप्रति निकालने के लिए 500-1000 रुपये घूस देनी पड़ती है।एक व्यक्ति को खेसरा पंजी की जरुरत थी जिसके लिए मैंने RTI आवेदन भेजवाया।जवाब में बताया गया कि बिहार अभिलेख हस्तक,1960 का अध्याय 8 का नियम 273 से 279 के आलोक में सिर्फ चिरकुट दाखिल करने पर ही दस्तावेज प्रदान किया जा सकता है।लेकिन बिहार अभिलेख हस्तक,1960 और सूचना का अधिकार कानून में कहीं भी ये नहीं लिखा है कि अभिलेखागार का दस्तावेज सूचना का अधिकार कानून के दायरे में नहीं आता।हालांकि एक अन्य आवेदन के जवाब में अभिलेखागार के वरीय उप समाहर्ता ने खुद को लोक सूचना अधिकारी बताया है।इस अधिकारी को एक पत्र भेजकर सूचना देने कहा गया है जिसमें बताया गया है कि अभिलेखागार सूचना का अधिकार कानून के दायरे में आता है।इस अधिकारी द्वारा फिर भी दस्तावेज प्रदान नहीं करने पर इनके विरुध्द प्रथम अपील दायर करना पड़ेगा।
जिला अभिलेखागार से रोजाना सैकड़ों लोग सैकड़ों रुपये घूस देकर दस्तावेज निकालते हैं।इन्हें लगता है कि RTI से दस्तावेज देने पर लोग चिरकुट दाखिल करना बंद कर देंगे।
एक बार वर्ष 2013 में अनुमंडलाधिकारी,दलसिंहसराय द्वारा सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज देने से मना करते हुए चिरकुट दाखिल कर दस्तावेज प्राप्त करने कहा गया।मैंने एक पत्र भेजकर कहा कि उन्हें सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज देना पड़ेगा जिसके बाद सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज दिया गया।
एक वकील ने एक व्यक्ति को कहा कि सूचना का अधिकार के तहत न्यायिक दस्तावेज प्रदान नहीं की जाती।मैंने उस व्यक्ति को सूचना का अधिकार का जानकारी दिया।लेकिन एक वकील द्वारा ये बोलना दिखाता है कि अभिलेखागार,सिविल कोर्ट का प्रतिलिपि विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों का कोर्ट ने अफवाह फैला दिया है कि उनके पास मौजूद दस्तावेज सूचना का अधिकार के दायरे में नहीं आता।
No comments:
Post a Comment