रेल मंत्रालय द्वारा रेल भाड़ा से संबंधित गड़बड़ी के विरुध्द RTI आवेदन का जवाब नहीं देने पर पुनः RTI आवेदन मैंने भेजा है।जुलाई में जो RTI आवेदन
भेजी गई थी उसका ब्यौरा रेल मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध है जिसका केस नं 44461 और केस खुलने की तारीख 28/7/2014 है और अभी भी रेल मंत्रालय में लंबित है।
रेल मंत्रालय ने जो नियम बनाया था उसके अनुसार 5 और 10 के गुणज में जो संख्या सन्निकट होगी वही रेल भाड़ा होगा।उदाहरणतः यदि बेस फेयर,सुपरफास्ट चार्ज और रिजर्वेशन चार्ज आदि मिलाकार 431 रुपये होता है तो भाड़ा 430 रुपये होना चाहिए,लेकिन 435 रुपये भाड़ा लिया जा रहा है।यदि बेस फेयर,सुपरफास्ट चार्ज और रिजर्वेशन चार्ज आदि मिलाकार 437 रुपये होता है तो भाड़ा 435 रुपये होना चाहिए,लेकिन 440 रुपये भाड़ा लिया जा रहा है।ये स्पष्ट है कि रेल मंत्रालय नियम के विरुध्द ज्यादा भाड़ा वसूल रही है,इसलिए मेरा सूचना आवेदन का जवाब नहीं दिया जा रहा है।
पुनः आवेदन भेजकर पूछा गया है कि 5 और 10 के गुणज के रुप में रेल भाड़ा निर्धारित करने का क्या नियम है और कैसे निर्धारित होता है।लागू किए गए नियम का अभिप्रमाणित छायाप्रति मांगा गया है।
................................
देश की एक शीर्ष कानून की वेबसाइट www.indiankanoon.org
पर केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा मेरा 5 विभिन्न शिकायतों को लेकर पारित
किया गया 5 आदेश उपलब्ध है जिसे गूगल पर Rahul Kumar vs Ministry Of Human
Resource &Development डालकर सर्च किया जा सकता है।इन 5 आदेश में सूचना
आयुक्त राजीव माथुर ने शिकायत पर खुद सुनवाई करने के बजाय सूचना देने के
लिए शिकायत को संबंधित विभाग को भेज दिया था।बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने JK
MITTAL vs Central Information Commission में सुनवाई करते हुए दिनांक
28/10/2013 को आदेश दिया कि जब केन्द्रीय सूचना आयोग में सूचना का अधिकार
अधिनियम,2005 की धारा 18 के तहत सीधे शिकायत की जाती है तो आयोग के पास
शिकायत को संबंधित विभाग के पास भेजने का कोई शक्ति नहीं है बल्कि ऐसे
मामले में आयोग द्वारा अपने मेरिट के आधार पर फैसला देना चाहिए।इसके बाद
RTI केस लड़ने वाले अधिवक्ता व EXCISE AND CUSTOM BAR ASSOCIATION के
अध्यक्ष RK JAIN द्वारा मुझे एक पत्र भेजकर बताया गया कि आयोग मनमानी कर
रही है।Indian Kanoon इस देश की कानून की एक शीर्ष वेबसाइट है।मेरा 5 केस
में आयोग द्वारा मनमानी किया गया है,इसलिए Indian Kanoon ने इसे वेबसाइट
पर डालने का फैसला किया।
भेजी गई थी उसका ब्यौरा रेल मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध है जिसका केस नं 44461 और केस खुलने की तारीख 28/7/2014 है और अभी भी रेल मंत्रालय में लंबित है।
रेल मंत्रालय ने जो नियम बनाया था उसके अनुसार 5 और 10 के गुणज में जो संख्या सन्निकट होगी वही रेल भाड़ा होगा।उदाहरणतः यदि बेस फेयर,सुपरफास्ट चार्ज और रिजर्वेशन चार्ज आदि मिलाकार 431 रुपये होता है तो भाड़ा 430 रुपये होना चाहिए,लेकिन 435 रुपये भाड़ा लिया जा रहा है।यदि बेस फेयर,सुपरफास्ट चार्ज और रिजर्वेशन चार्ज आदि मिलाकार 437 रुपये होता है तो भाड़ा 435 रुपये होना चाहिए,लेकिन 440 रुपये भाड़ा लिया जा रहा है।ये स्पष्ट है कि रेल मंत्रालय नियम के विरुध्द ज्यादा भाड़ा वसूल रही है,इसलिए मेरा सूचना आवेदन का जवाब नहीं दिया जा रहा है।
पुनः आवेदन भेजकर पूछा गया है कि 5 और 10 के गुणज के रुप में रेल भाड़ा निर्धारित करने का क्या नियम है और कैसे निर्धारित होता है।लागू किए गए नियम का अभिप्रमाणित छायाप्रति मांगा गया है।
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देश की एक शीर्ष कानून की वेबसाइट www.indiankanoon.org
पर केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा मेरा 5 विभिन्न शिकायतों को लेकर पारित
किया गया 5 आदेश उपलब्ध है जिसे गूगल पर Rahul Kumar vs Ministry Of Human
Resource &Development डालकर सर्च किया जा सकता है।इन 5 आदेश में सूचना
आयुक्त राजीव माथुर ने शिकायत पर खुद सुनवाई करने के बजाय सूचना देने के
लिए शिकायत को संबंधित विभाग को भेज दिया था।बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने JK
MITTAL vs Central Information Commission में सुनवाई करते हुए दिनांक
28/10/2013 को आदेश दिया कि जब केन्द्रीय सूचना आयोग में सूचना का अधिकार
अधिनियम,2005 की धारा 18 के तहत सीधे शिकायत की जाती है तो आयोग के पास
शिकायत को संबंधित विभाग के पास भेजने का कोई शक्ति नहीं है बल्कि ऐसे
मामले में आयोग द्वारा अपने मेरिट के आधार पर फैसला देना चाहिए।इसके बाद
RTI केस लड़ने वाले अधिवक्ता व EXCISE AND CUSTOM BAR ASSOCIATION के
अध्यक्ष RK JAIN द्वारा मुझे एक पत्र भेजकर बताया गया कि आयोग मनमानी कर
रही है।Indian Kanoon इस देश की कानून की एक शीर्ष वेबसाइट है।मेरा 5 केस
में आयोग द्वारा मनमानी किया गया है,इसलिए Indian Kanoon ने इसे वेबसाइट
पर डालने का फैसला किया।
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