खानापूर्ति के बजाय कार्रवाई किया डीएम ने
वृध्दावस्था,विकलांगता और विधवा पेंशन पंचायत मुख्यालय में वितरित करने का नियम होने के बावजूद मेरे पंचायत का प्रखंड मुख्यालय में वितरित किया जा रहा है।पंचायत से प्रखंड की दूरी लगभग 12 किमी हैं,इसलिए कई वृध्द और विकलांग इतना दूरी तय करने में अक्षम हैं।जो लाभार्थी पेंशन लेने नहीं जाते हैं,उनकी राशि गबन कर ली जाती है।पंचायत सचिव,बीडीओ आदि बोलते हैं कि पंचायत जाने में उन्हें असुरक्षा महसूस होता है।
दिनांक 4/12/2014 को डीएम से मिलकर पूरे मामले की जानकारी मैंने उन्हें दिया।डीएम ने बीडीओ को पंचायत मुख्यालय में वितरण करवाने का आदेश दिया है।डीएम ने मुझे बोला है कि वे इस मामले को अपने स्तर से देखेंगे,इसलिए आवेदन अपने पास रख लिया।ज्यादातर मामले में ये लोग खानापूर्ति करते हैं और आवेदन को दूसरे पदाधिकारी को अग्रसारित कर देते हैं।हालांकि डीएम ने ये कहकर मामले को हल्का करने की कोशिश की थी कि मेरा पंचायत में बाढ़ के कारण कर्मचारी को नाव से जाना पड़ेगा।मैंने जवाब दिया कि बाढ़ मात्र चार महीना रहता है,अभी तो वाहन भी जा सकता है।
अगली बार इन पेंशनों का वितरण पंचायत मुख्यालय में नहीं होने पर डीएम को शिकायत करने पर उम्मीदतः ये संभव हो जाए।
अगली बार इन पेंशनों का वितरण पंचायत मुख्यालय में नहीं होने पर डीएम को शिकायत करने पर उम्मीदतः ये संभव हो जाए।
जब मैंने कहा कि वृध्दों और विकलांगो को इतना दूरी तय करने में परेशानी होती है तो डीएम के साथ एडीएम ने भी कहा कि बिल्कुल सही बात है।जब मैंने कहा कि जो लाभार्थी पेंशन लेने नहीं जाते हैं उनका राशि गबन कर ली जाती है तो डीएम के साथ एडीएम ने भी कहा कि बिल्कुल सही बात है।डीएम ने कहा कि उन्होंने खुद सभी बीडीओ को पंचायत मुख्यालय में पेंशन वितरण करवाने का आदेश दिया था।इसलिए इस मामले में अपेक्षित कार्रवाई होने की ज्यादा संभावना है।
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योजना आयोग को हटाने के पीछे की साजिश
सरकार योजना आयोग को इसलिए हटाना चाह रही है क्योंकि इसे हटाने से पूँजीपतियों और पूँजीवादी राष्ट्रों को फायदा होगा।जब योजना आयोग नहीं रहेगी तो योजना बनाने के बाद सरकार द्वारा की जाने वाली निवेश में काफी कमी आएगी।जब सरकार द्वारा की जाने वाली निवेश में कमी आएगी तो पूँजीपतियों द्वारा की जाने वाली निवेश बढ़ेगी।किसी भी समाजवादी या मिश्रित अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी,गरीबी व आधारभूत संरचनाओं के अभाव के कारण सरकार द्वारा एक योजना बनाकर निवेश करने की जरुरत होती है लेकिन पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में लोगों की आर्थिक हालात मजबूत होने के कारण सरकार द्वारा ऐसी योजना बनाने के बजाय पूँजीपतियों को निवेश करने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है।भारत सरकार भी भारत को मिश्रित अर्थव्यवस्था से पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में बदलने की साजिश रच रही है।यदि योजना आयोग में खामियाँ है तो उस खामियाँ को दूर करना चाहिए ना कि उसे हटा देना चाहिए।प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होने के बावजूद खामियाँ को दूर नहीं करना चाहते हैं,इससे जाहिर होता है कि पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाने की चाल चल रहे हैं।
योजना आयोग की तरह ही उस प्रवृति का दूसरा आयोग आदर्श रुप में योजना आयोग के जगह पर गठित करने के बारे में कहने भर से ही वैसा आयोग नहीं हो सकता।जो नए प्रस्तावित आयोग का गठन होगी,उसकी कार्यप्रणाली निश्चित रुप से ऐसी होगी जो पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाएगी।अन्यथा आदर्श रुप में योजना आयोग के जगह नए आयोग को गठित करने के बजाय योजना आयोग में ही सुधार लाकर इसे आदर्श बना दिया जाता।
ये कोई पूर्वाग्रह नहीं है बल्कि तार्किक परिकल्पना है।आप जिस आदर्श प्रारुप में एक नए आयोग के गठन का समर्थन कर रहे हैं,उसके जगह पर योजना आयोग को भी आदर्श बनाया जा सकता है।लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है क्यों?नए आयोग का गठन करने में ज्यादा खर्च भी आएगी और विलंब के कारण कार्य भी बाधित है,फिर योजना आयोग को ही आदर्श क्यों नहीं बनाया जाता?
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NO DAMAGE,NO CHEATING
It has been raised question that the Social Activists an IPS Amitabh Thakur and his wife an advocate Nutan Thakur talked to a health department toll free number by changing their name in order to enquire into the malfunctioning of the service.It has been alleged that the same act is cheating by personation u/s 419 of the IPC.
Section 415 of the IPC defines cheating wherein deceiving fraudulently or dishonestly causing damage or harm in body,mind,reputation and property has been called cheating.
Further,the Supreme Court observed in
Dr Vimla VS Delhi Administration[AIR 1963 SC 1572] and Dr. S.Dutt VS State of Uttar Pradesh [1966 AIR 523, 1966 SCR(1) 493] that fraud is committed only when there is wrong advantage to the cheater or wrong disadvantage to the person who is cheated.
Dr Vimla VS Delhi Administration[AIR 1963 SC 1572] and Dr. S.Dutt VS State of Uttar Pradesh [1966 AIR 523, 1966 SCR(1) 493] that fraud is committed only when there is wrong advantage to the cheater or wrong disadvantage to the person who is cheated.
In this present case,there is neither legal damage or harm to any person of health department ,nor illegal advantage to Amitabh Thakur and Nutan Thakur.So,this present case is not of cheating by personation.
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My opinions on the IPL Spot fixing:
1.IPL must be banned.Auction amounts to forced labour violating human dignity of a player.Auction process is unconstitutional as it conflicts Article 21 and 23 of the constitution.Supreme Court must declare Auction Process unconstitutional.
2.Offence is only offence.Supreme Court is not disclosing the name of players who have been suspected in Mudgal Committee's report.This act of court is unfair.
3.Srinivasan would also be involved in the Spot Fixing because it is easy to visualise that if Meiyappan was involved,he would be well aware of the fact but not taking any action by Srinivasan proves that he was involved.Mudgal Committee became fail to prove this fact.
4.Dhoni would also be involved in the Spot Fixing.Statement of an IPS Sampath Kumar and Vindu Dara Singh states such.Sakshi Dhoni was seen with Vindu Dara Singh and Sakshi Jhala(A girl friend of Sreesanth) in the stadium and it makes doubt reasonable.Sakshi Dhoni had gone to home of Sreeshant after his arrest.
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