Wednesday 26 November 2014

शादी का झासा देकर रेप:कानून के विरुध्द फर्जी मुकदमा



शादी का झासा देकर रेप करने का आरोप लगाना भारतीय कानून के दुरुपयोग का बर्बरतम उदाहरण है क्योंकि IPC का धारा 375 के तहत रेप की परिभाषा में इसे रेप की श्रेणी में रखा ही नहीं गया है।IPC का धारा 375 में रेप का जो परिभाषा बताया गया है उसमें किसी महिला के इच्छा और सहमति के बिना यौन-संबंध बनाने के अतिरिक्त किसी महिला को भय दिखाकर सहमति लेकर यौन-संबंध बनाने,मानसिक रुप से विकलांग महिला या नशा की अवस्था में रही महिला से सहमति लेकर यौन-संबंध बनाने,18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से उसके सहमति या बिना सहमति के यौन संबंध बनाने और किसी महिला द्वारा ये यकीन करके यौन-संबंध बनाने के लिए सहमति दे देने कि वह उसका विधि द्वारा मान्य पति है लेकिन पुरुष को मालूम है कि वह उसकी पत्नी नहीं है,इन अवस्थाओं में महिला द्वारा यौन-संबंध बनाने के लिए सहमति देने के बावजूद कृत्य को रेप माना गया है।झासा,प्रलोभन,लालच देकर सहमति लेकर यौन-संबंध बनाने को रेप नहीं माना गया है।लेकिन इस कृत्य को रेप की श्रेणी में नहीं रखे जाने के बावजूद ऐसा शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस द्वारा रेप का प्राथमिकी दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ्तार किया जा रहा है।


सबसे बड़ी बात ये है कि शादी की कोई झासा नहीं दी जाती है क्योंकि आपसी सहमति से यौन-इच्छा की पूर्ति के लिए यौन-संबंध बनाया जाता है और यदि महिला शादी के लालच में आ भी जाती है तो वहाँ भी लालच से बड़ा कारक यौन-इच्छा की पूर्ति करना रहता है।यदि किसी व्यक्ति में यौन-इच्छा की पूर्ति करने की चाहत नहीं रहेगी तो वह शादी के लालच में यौन-संबंध नहीं बनाएगा।यदि शादी नहीं करे तो उस लड़की के नजर में रेप और शादी कर ले तो उस लड़की के नजर में कोई रेप नहीं।ऐसा कैसे हो सकता है?अपराध हरेक अवस्था में अपराध होता है चाहे शादी करे या ना करे लेकिन इस देश में स्वार्थी लड़की की नजरिया के अनुसार अपराध की मापदंड और परिभाषा तय की जा रही है।


इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ सुझाव

i.पुलिस और कोर्ट शादी का झासा देकर रेप करने का शिकायत दर्ज कराने पर रेप का मुकदमा दायर नहीं करेगी।
ii.पुलिस या कोर्ट के समक्ष ऐसा शिकायत दर्ज कराए जाने पर पुलिस या कोर्ट दोनों पक्षों के बीच समझौता कराकर लड़का को शादी करने के लिए तैयार करने की कोशिश करेगी।लेकिन लड़का का तैयार नहीं होने पर लड़का के विरुध्द रेप का मुकदमा दायर नहीं किया जाएगा।
iii.शादी का झासा देकर रेप करने का मुकदमा पुलिस और कोर्ट द्वारा दायर नही किए जाने के कारण लड़की द्वारा ऐसे केस में सहमति के बिना रेप करने या रेप की श्रेणी में रखे गए सहमति में से किसी आधार पर रेप करने का आरोप लगाया जाने लगेगा।लेकिन यदि पुलिस या कोर्ट को शिकायत-पत्र का अवलोकन करने के बाद लगेगा कि लड़की प्रेम-प्रसंग के कारण रेप के आरोप में फंसा रही है तो पुलिस या कोर्ट रेप का मुकदमा दायर करने के बजाय प्रारंभिक जांच करेगी और प्रारंभिक जांच में प्रेम-प्रसंग का मामला सामने आने पर आरोप को खारिज कर देगी।


केन्द्र सरकार या सुप्रीम कोर्ट को इस दुरुपयोग को रोकने के लिए नियम बनाना चाहिए।

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