Monday 10 November 2014

My Experiments on the RTI Act,2005

फरवरी 2014 में डाक जीवन बीमा का परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के बाद 7 महीने गुजर जाने के बावजूद परिपक्वता राशि का भुगतान कर्मचारी के लापरवाही के कारण एक बीमाधारी का नहीं हुआ लेकिन मैंने 22 सितंबर 2014 को RTI आवेदन डाक अधीक्षक को प्रेषित कर सवाल जवाब किया कि परिपक्वता राशि का भुगतान कितने दिन के अभ्यंतर होना चाहिए,तय समयसीमा के अभ्यंतर परिपक्वता राशि के भुगतान नहीं होने का क्या कारण है,जिन कर्मचारियों के कारण विलंब हुई उनके विरुध्द क्या कार्रवाई होगी,तो 13 अक्टूबर को डाक अधीक्षक ने भुगतान हेतु स्वीकृति पत्र जारी कर दिया और 20 अक्टूबर को RTI का जवाब भेजा कि 13 अक्टूबर को स्वीकृति पत्र जारी हो चुका है।22 अक्टूबर को बीमाराशि 20,000 रुपये के एवज में बोनस सहित 30,221 रुपये का भुगतान बीमाधारी को हो गया।बीमाधारी ने दो बार लिखित आवेदन परिपक्वता राशि का भुगतान हेतु डाक अधीक्षक को प्रेषित किया लेकिन भुगतान नहीं हुआ।RTI भेजने के उपरांत एक महीना के अभ्यंतर राशि का भुगतान हो गया।जहाँ पर लोकसेवक नियम के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य हैं,लेकिन कर नही रहे तो ऐसी अवस्था में RTI से सवाल जवाब करने के बाद कार्य कराया जा सकता है।

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अंचलाधिकारी,कुशेश्वरस्थान पूर्वी को 13 अप्रैल 2014 को एक RTI आवेदन भेजा गया जिसपर पाँच महीने गुजर जाने के बावजूद मुझे सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई।फिर मैंने 23 सितंबर 2014 को एक पत्र भेजकर अंचलाधिकारी को अल्टीमेटम दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 7(1) के तहत एक महीना के भीतर सूचना देना है,इसलिए आप यथाशीघ्र सूचना उपलब्ध कराए,अन्यथा आपके विरुध्द अधिनियम की धारा 18(1) के तहत राज्य सूचना आयोग में शिकायत की जाएगी।इसके बाद सूचना दे दी गई।जमाबंदी संख्या 2294 और 1452 से बने नए जमाबंदी और नए जमाबंदी धारक का ब्यौरा सूचना आवेदन भेजकर मांगा गया था क्योंकि इसका ब्यौरा कार्यालय में दिखाने के लिए राजस्व कर्मचारी ने 500 रुपये घूस मांगा था,जिसे देने से मैंने मना कर दिया था।जमाबंदी संख्या 2294 से जो नए जमाबंदी बनी है,उसमें कुछ नए जमाबंदी धारक का जमीन 2294 का नहीं होने के बावजूद इस जमाबंदी से दाखिल-खारिज कर नया जमाबंदी कायम कर दिया गया है,इसलिए अंचलाधिकारी द्वारा सूचना नहीं दी जा रही थी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि फर्जी तरीके से नया जमाबंदी कायम करने के कारण उनके व राजस्व कर्मचारी के विरुध्द मुकदमा दायर कर दी जाएगी।

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पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का पूर्णिया उपकेन्द्र में अभी तक सहायक लोक सूचना अधिकारी नामित नहीं किया गया है।पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड भारत सरकार द्वारा संचालित संस्था है जिसमें सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 लागू होने के 100 दिन के भीतर अधिनियम की धारा 5(1) के तहत हरेक प्रशासनिक इकाई या कार्यालय में लोक सूचना अधिकारी और धारा 5(2) के तहत हरेक उप-स्तरीय इकाई में सहायक लोक सूचना अधिकारी नामित किया जाना चाहिए।पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड का पूर्णिया उपकेन्द्र के लोक सूचना पदाधिकारी के नाम से प्रेषित की गई पत्र को डाक कर्मचारी द्वारा ये लिखकर लौटा दिया गया कि इस नाम का पदाधिकारी कार्यालय में नहीं है,इसलिए तामिल नहीं हो सका।जाहिर है कि सहायक लोक सूचना पदाधिकारी भी कार्यालय में नहीं है क्योंकि इनका काम धारा 5(2) के तहत आवेदन को प्राप्त कर अग्रसारित करने भर सीमित है,इसलिए पत्र वापस नहीं किया जाता।मैं अधिनियम की धारा 25(5) के तहत केन्द्रीय सूचना आयोग को ये सिफारिश करने के लिए शिकायत प्रेषित कर रहा हूँ कि उक्त उपकेन्द्र का सहायक लोक सूचना अधिकारी नामित किया जाए।

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DIG कार्यालय के DSP ने रेप,अपहरण और वैश्यावृति कराने के लिए बेचने के एक फर्जी आरोप में मेरे द्वारा की गई ड्राफ्टिंग को शानदार बताया है और इस मामले को लेकर मिलने गए अभियुक्त को कहा कि DIG को आवेदन को एक बार सिर्फ पढ़ लेने के लिए कह देना,उन्हें खुद समझ में आ जाएगी कि मामला फर्जी है।अभियुक्त DIG से भी मिलने गया लेकिन ये लोग तो आवेदन को पढ़ते भी नहीं।इनके पास इतना समय नहीं है,जो कामचोरी करने का बहाना है।
लड़की ने बेगूसराय CJM के समक्ष दिए बयान में कहा कि वह अपने प्रेमी के साथ अपने मन से समस्तीपुर जंक्शन आई और वहाँ से अकेले कटिहार ट्रेन से जा रही थी और प्यास लगने के कारण बेगूसराय जंक्शन पर उतरी जहाँ कुछ लोगों द्वारा अगवा कर रेप किया गया और वैश्यावृति करने कहा गया।फिर जब लड़की का SDJM,दरभंगा के समक्ष बयान हुआ तो उसने अपने प्रेमी के साथ एक अन्य व्यक्ति(जिसका मैंने ड्राफ्टिंग किया) पर बलात्कार,अपहरण और वैश्यावृति कराने के लिए बेचने का आरोप लगा दिया।जब लड़की अपने मन से बेगूसराय जंक्शन पर उतरी जहाँ उसे अचानक वैश्यावृति कराने वाले ने पकड़ लिया तो फिर उसका प्रेमी और एक अन्य अभियुक्त ने उसे वैश्यावृति कराने वाले को कैसे बेचा?प्रेमी के अतिरिक्त एक अन्य व्यक्ति के नाम का जिक्र भी बेगूसराय कोर्ट में उस लड़की द्वारा नहीं किया गया।जब प्रेमी के साथ एक अन्य व्यक्ति ने उसका रेप किया तो लड़की ने प्रेमी के साथ समस्तीपुर जंक्शन आने के बजाय ये बयान क्यों नहीं दिया कि उसका प्रेमी और एक अन्य व्यक्ति ने रेप करके उसे समस्तीपुर जंक्शन पर छोड़ दिया?जब एक बालिग लड़की प्रेमी के साथ खुद जा-आ रही है तो अपहरण कैसे हुआ?

इस कांड का पर्यवेक्षण लड़की का प्रेमी के साथ भाग जाने के बाद और लड़की के बारामदगी के पूर्व SDPO और SSP द्वारा किया गया जिन्होंने अभियुक्त के विरुध्द गिरफ्तारी आदेश जारी कर दिया और फिर कोर्ट से भगोड़ा घोषित करवा कर 6 नवंबर तक आत्मसमर्पण का आदेश दिया गया और अब आत्मसमर्पण नहीं करने पर कोर्ट से आदेश लेकर संपति की कुर्की-जब्ती की जाएगी।लेकिन लड़की की बारामदगी के बाद जो नए तथ्य सामने आए हैं,उसके आधार पर कांड का पुनः पर्यवेक्षण SSP द्वारा किया जाना चाहिए था,जो नहीं किया गया।लड़की की बरामदगी के पूर्व,मतलब बगैर साक्ष्य का गिरफ्तारी आदेश जारी हुआ जिसके आधार पर भगोड़ा घोषित कर कुर्की-जब्ती की कार्रवाई होने वाली है,लेकिन बरामदगी के बाद जो साक्ष्य प्राप्त हुए,उसके आधार पर तो पर्यवेक्षण हुआ ही नहीं।
इस मामला को लेकर मैं इस  सप्ताह IG से मिलूँगा।

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