Tuesday 13 May 2014

जनमत संग्रह को अनिवार्य कर देना चाहिए।


किसी भी लोकतांत्रिक देश में जनमत संग्रह को अनिवार्य कर देना चाहिए।लोकतंत्र में जनता की भागीदारी सिर्फ वोट देने तक और विचार व्यक्त करने तक ही सीमित नहीं हो सकता।लोकतंत्र में सारे महत्वपूर्ण कार्य जनता की सहमति से होना चाहिए।जनमत संग्रह को अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए।जिस तरह से पाँच साल पर एक बार चुनाव होती है,उसी तरह से महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रति वर्ष जनमत संग्रह होना चाहिए।


कुछ महत्वपूर्ण मुद्दा जिसपर त्वरित जनमत संग्रह होना जरुरी है-

1.मौलिक अधिकारों पर जनमत संग्रह-भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15,16 और 32 पर जनमत संग्रह हो।अनुच्छेद 15 यानि समानता का अधिकार और अनुच्छेद 16 यानि अवसर की समानता का अधिकार में आर्थिक भेदभाव का चर्चा नहीं किया गया है।आज देश में सबसे ज्यादा गरीबों के साथ भेदभाव होता है और गरीबों को अवसर से वंचित किया जाता है,लेकिन इसका चर्चा हमारे संविधान के मौलिक अधिकारों में नहीं है।अनुच्छेद 32 यानि संवैधानिक उपचार के अधिकार के तहत लोग अपना मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैँ।आखिर एक नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अनुच्छेद 32 के तहत जिला अदालत क्यों नहीं जा सकता?

2.न्यायालयों के लिए सिटीजन चार्टर हो-न्यायिक प्रक्रिया में इतना विलंब होने का कारण न्यायालयों के लिए सिटीजन चार्टर का ना होना है।न्यायालयों के लिए सिटीजन चार्टर लागू करके ये तय किया जाना चाहिए कि न्यायालय को किस मामले की सुनवाई कितने दिन में करना पड़ेगा।सिटीजन चार्टर लागू करने के बाद तय समय में सुनवाई करवाने के लिए लोगों का दवाब बढ़ने लगेगा और जजोँ,अदालतों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी और जजों को अपनी अकर्मण्यता को छोड़ना पड़ेगा।

3.विभागीय अधिकारी सिर्फ एक कार्यपालिका का कार्य करे-संविधान के अनुसार एक विभागीय अधिकारी सिर्फ कार्यपालिका होता है,लेकिन वास्तव में एक विभागीय अधिकारी विभागीय स्तर पर विधायिका और न्यायपालिका का भी कार्य करता है।एक विभागीय अधिकारी विधायिका की तरह स्वयं निर्णय लेता हैं कि उसे क्या करना है,किस योजना का स्वीकृति देना है, कहाँ और कितना खर्च करना है।इस निर्णय को लेने के लिए लोगों द्वारा चुना गया विधायिका हरेक विभाग मेँ और हरेक स्तर पर होना चाहिए।एक विभागीय अधिकारी न्यायपालिका का भी कार्य करते हैं।कल्पना कीजिए कि एक डीएम का कोई कर्मचारी विरोध करने लगे तो वह उसे बर्खास्त कर देगा।क्या ये निर्णय लेने का अधिकार डीएम के पास होना चाहिए?ऐसा निर्णय लेने के लिए विभागीय स्तर पर एक न्यायपालिका होना चाहिए।साथ मेँ,इस न्यायपालिका का कार्य विभाग से जुड़ी गड़बड़ियों पर सुनवाई करना और निगरानी करना होना चाहिए।विभागीय अधिकारी द्वारा लोगों की सुनवाई नहीं करने पर इस विभागीय न्यायपालिका में अपील करने का अधिकार होना चाहिए।

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